भारत में इन जगहों पर होता है पिंडदान, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग

Pind Daan is done at these places in India, people come from far and wide for the peace of the souls of the ancestors.
भारत में इन जगहों पर होता है पिंडदान, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग
पितृ पक्ष विशेष भारत में इन जगहों पर होता है पिंडदान, पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग

डिजिटल डेस्क,भोपाल। हिंदू धर्म में रिति-रिवाजों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।  हिंदू धर्म में मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक रिति-रिवाज होते हैं। पिंडादान उन्ही में से एक है। हिंदू धर्म में मनुष्य की मृत्यु के बाद श्राद्ध, अस्थि विसर्जन और पिंडदान जैसे रिति-रिवाज होते है। कहा जाता है कि पिंडदान,पूर्वजों की वंदना करने और उनकी आत्मा को शांति की ओर ले जाने की रस्म है। गौरतलब है कि भगवान ब्रह्मा ने इस प्रथा की शुरुआत की थी। हिंदू धर्म में कहा  जाता है पिंडदान करने से दिवंगत की आत्मा को शांति मिलती है। आइए जानते हैं उन जगहों के बारे में जहां आप पिंडदान कर सकते हैं। 

भारत में इन जगहों पर होता है पिंडदान 

1) वाराणसी- वाराणसी को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र जगहों में से एक माना जाता है। वाराणसी गंगा के तट पर बसा हुआ भारत का एक प्रमुख शहर है। गंगा घाट पर पिंडदान की प्रथा काफी पुरानी है। वाराणसी के स्थानीय पंडित पिंडदान का अनुष्ठान करते हैं। जिसमें मंत्र जाप और फिर पारंपरिक गोले के प्रसाद बनाते हैं। 

2) गया- बिहार के गया में लोग दूर-दूर से पिंडदान करने आते हैं। यहां पिंडदान फाल्गु नदी के तट पर किया जाता है, जिसे भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। यहां पिंडदान के लिए 48 वेदिया (प्लेटफार्म) मौजूद है, सभी का अपना महत्व है। लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण है धर्मारण्य वेदी। लोग फाल्गु नदी में स्नान करके पिंडदान की पूजा करते है। 
 
3) बद्रीनाथ-  उत्तराखण्ड के बद्रीनाथ में हिंदू धर्म के लोग भारत के सभी राज्यों से यहां पिंडदान करने आते हैं। यहां लोग अलकनंदा के तट पर पिंडदान करते है। यहां ब्रह्म कपाल धाट पिंडदान के लिए शुभ माना जाता है। लोग अलकनंदा नदी में डुबकी लगाकर पडिंत के द्वारा कहे गए मंत्रो का जाप करते हैं। जिससें दिवंगत की आत्मा को शांति मिलती हैं। फिर पूर्वजों को पिंड के प्रसाद (चावल के पारंपरिक गोले) दिए जाते है। 

4) पुष्कर- राजस्थान के पुष्कर में पवित्र झील भगवान विष्णु की नाभि से निकली थी। मान्यताओं के अनुसार यह झील तब अस्तित्व में आया जब भगवान ब्रह्मा ने यहां कमल का फूल गिराया। झील के चारों और पिंडदान के लिए 52 स्थान बने हुए है। यहां लोग पुर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अश्विन मास में पिंडदान करने के लिए आते हैं। यहां अश्विन मास में ही पिंडदान का समारोह भी होता है।

5) अयोध्या- भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या भी पिंडदान के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। यहां सरयू नदी के तट पर भात कुंड है। जहां पिंडदान किया जाता है। पुर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भक्त सरयू नदी में स्नान करके पूजा की शुरुआत करते है। 

Created On :   14 Sept 2022 4:43 PM GMT

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