पौष पूर्णिमा: आज पूर्णिमा के साथ है चंद्र ग्रहण, करें ये कार्य
डिजिटल डेस्क। हिन्दू कैलेंडर में शाकंभरी पूर्णिमा यानि पौष पूर्णिमा बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। पौष पूर्णिमा विक्रम संवत के दसवें माह पौष के शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि होती है। जो कि इस बार 10 जनवरी यानी कि आज है। ऐसा भी माना जाता है कि पौष माह की पूर्णिमा पर स्नान और जान से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए मोक्ष की कामना रखने वाले बहुत ही शुभ मानते हैं।
लेकिन इसी दिन चंद्र ग्रहण होने की वजह से पौष पूर्णिमा के दिन होने वाला स्नान ग्रहण के बाद ही होगा। ऐसा माना जाता है कि यदि चंद्र ग्रहण के दौरान किसी सरोवर में स्नान किया जाए तो सभी पाप धुल जाता हैं। इसके अलावा गेहूं, चावल और गुड़ जैसी चीजों का दान भी करना चाहिए। इससे खुशहाली आती है।
चंद्र ग्रहण का सूतक सुबह 12 घंचे पहले शुरू हो जाता है। इस दौरान मंदिरों के पाट बंद हो जाएंगे। मान्यता है कि पौष माह के दौरान जो व्यक्ति पूरे महीने भगवान का ध्यान कर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते है, उसकी पूर्णता पौष पूर्णिमा के स्नान से हो जाती है। इस दिन काशी, प्रयाग और हरिद्वार में स्नान का विशेष महत्व होता है।
पौष माह में सूर्य देव की विशेष पूजा
ज्योतिषी और जानकारों का कहना है की पौष महीने में सूर्यदेव ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तप कर सहित शीतऋतु से सुकून देते है। इसलिए पौष माह में सूर्य देव की विशेष पूजा और उपासना की जाती है जिससे मनुष्य जीवन मरण के चक्कर से मुक्त होता है। इस दिन गंगा यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान, दान और सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है।
माना जाता है इस दिन गंगा स्नान करने से तन मन और आत्मा तीनों ही पापमुक्त हो जाते है। इसीलिए इस दिन सांगत के तट पर स्नान के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है। इस महीने को सूर्य देव का महीना भी माना जाता है। पूर्णिमा की तिथि चन्द्रमा के अनुसार होती है। सूर्य चद्र्मा का यह अद्भुत संयोग केवल पौष पूर्णिमा को ही मिलता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की उपासना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ग्रहों की बाधाएं शांत होती है और मोक्ष का वरदान मिलता है।
Created On :   4 Jan 2020 12:09 PM GMT