जानें ब्रह्मचारिणी का अर्थ, पूजा के दौरान इस मंत्र का करें जाप
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन माता ब्रहाचारिणी का होता है। इस बार यह 08 अक्टूबर, शुक्रवार को पड़ रहा है। इस दिन माता की साधना करने से विवेक, बुद्धि, ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धी की प्राप्ति होती है। तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि के लिए देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है।
ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ है तप की चारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली मां। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य होता है। माता के सीधे हाथ में जप की माला और उल्टे हाथ में यह कमण्डल होता हैं।
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मान्यता
मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान आरती और मंत्रों का जाप करने से माता भक्तों के सभी बिगड़े काम बना देती हैं। इसके साथ ही देवी मां की कृपा दृष्टि भी सदैव भक्त पर बनी रहती है।
स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ है तप की चारिणी अर्थात् तप का आचरण करने वाली मां। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य होता है। माता के सीधे हाथ में जप की माला और उल्टे हाथ में यह कमण्डल होता हैं। नारद जी के आदेशानुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक कठिन तपस्या की। अंत में उनकी तपस्या सफल हुई।
माता ब्रहाम्चारिणी की उपासना का मंत्र-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
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पूजा विधि
- इस दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद घर के मंदिर को अच्छे से साफ और गंगा जल से शुद्ध करें।
- अब हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें।
- इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं।
- अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें।
- देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं।
- कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं।
- माता को उनका मनपसंद भोग लगाएं।
Created On :   7 Oct 2021 5:27 PM IST