जानें व्रत विधि, पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान दुर्गाष्टमी का उपवास किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु दुर्गा माता की पूजा करते हैं और उनके लिए पूरे दिन का व्रत करते है, जो कि 11 दिसंबर, शनिवार को है। जबकि मुख्य अष्टमी शारदीय नवरात्रे के आंठवें दिन मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस अष्टमी का पुण्य-प्रताप फल अश्विन माह की अष्टमी के समतुल्य होता है।
मां ममता का सागर होती है। इनके मुखमंडल से तेजोमय कांति झलकती है, जिससे समस्त संसार प्रकाशमय होती है। इनकी आठ भुजाएं हैं, जो अस्त्र और शस्त्रों से सुशोभित हैं। जबकि मां दुर्गा की सवारी सिंह है।
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व्रत विधि
इस दिन व्रती को सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होना चाहिए।
- इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- फिर पूजा के स्थान को गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
- इसके बाद लकड़ी के पाट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर लें।
- फिर माता को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें।
- अब प्रसाद के रूप में आप फल और मिठाई चढ़ाएं।
- अब धूप और दीपक जलाएं और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- इसके बाद माता की आरती करें।
- अब हाथ जोड़कर देवी से प्रार्थना करें।
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पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें।
र्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥
देवी सर्वभूतेषु मां दुर्गा-रूपेण संस्थिता।
मस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Created On :   9 Dec 2021 5:39 PM IST