महेश नवमी 2020: आज मनाई जा रही है महेश नवमी, कैसे करें पूजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी मनाई जाती है। इस वर्ष महेश नवमी 31 मई को है। मान्यता है कि माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति युधिष्ठिर संवत के ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष नवमी को हुई थी, तभी से माहेश्वरी समाज प्रतिवर्ष की ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष नवमी को "महेश नवमी" के नाम से माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिन के रूप में बहुत धूम-धाम से मनाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष आराधना की जाती है।
महेश नवमी 2020 पूजा मुहूर्त
नवमी तिथि प्रारंभ: 30 मई 2020, शाम 07:55 बजे
नवमी तिथि समाप्त: 31 मई 2020,शाम 05:35 तक
क्यों लगाई जाती है मंदिर में परिक्रमा, जानिए हिन्दू शास्त्रों में क्या है नियम
पूजा विधि
- महेश नवमी के दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करें।
- इस दिन कमल पुष्पों से भगवान शिव की पूजा करें।
- पूजा के दौरान शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें।
- शिव जी को पुष्प, बेल पत्र आदि चढ़ाएं।
- शिवलिंग पर भस्म से त्रिपुंड लगाएं, जो त्याग व वैराग्य का सूचक है।
- इसके अलावा त्रिशूल का विशिष्ट पूजन करें
- महेश नवमी के दिन भगवान शिव की आराधना में डमरू बजाएं।
- भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती की भी पूजा करें।
- शिव पावर्ती दोनों के पूजन से खुशहाल जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न, पूरे होंगे बिगड़े हुए काम
मान्यता
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माहेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश के थे। शिकार के दौरान वे ऋषियों के शाप से ग्रसित हुए। तब इस दिन भगवान शिव ने उन्हें शाप से मुक्त कर उनके पूर्वजों की रक्षा की व उन्हें हिंसा छोड़कर अहिंसा का मार्ग बतलाया था। युधिष्ठिर संवत 9 ज्येष्ठ माह शुक्ल नवमी के दिन भगवान महेश और आदिशक्ति माता पार्वती ने ऋषियों के श्राप के कारण पत्थर बने हुए 72 क्षत्रिय उमराओं को श्रापमुक्त किया और पुनर्जीवन देते हुए कहा कि "आज से तुम्हारे वंश पर हमारी छाप रहेगी, तुम "माहेश्वरी" कहलाओगे"।
भगवान महेश और माता पार्वती की कृपा से 72 क्षत्रिय उमरावों को पुनर्जीवन मिला। भगवान शिव की आज्ञा से ही माहेश्वरी समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य समाज को अपनाया। तब से ही यह समुदाय "माहेश्वरी" नाम से प्रसिद्ध हुआ।
Created On :   23 May 2020 4:54 PM IST