हर दिन तिल-तिल बढ़ता है ये शिवलिंग, स्पर्श से मिलता है मोक्ष
डिजिटल डेस्क, काशी। महादेव की नगरी कही जाती है काशी। इस प्राचीन शहर के बारे में उल्लेख मिलता है कि महादेव यहां हर वक्त मौजूद रहते हैं और उन्होंने इसे स्वयं बसाया था। यही नही इस स्थान पर उन्होंने माता पार्वती के साथ प्रवेश किया था। यहां कण-कण में शिव का वास देखने मिलता है। महाशिवरात्रि पर तो काशी का उत्सव देखते ही बनता है। इस स्थान पर मौजूद शिवलिंग भी अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां हम आपको एक ऐसे ही शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं जो हर रोज एक तिल बढ़ता है।
रास्ते में ही रुक गए ऋषि
यह अद्भुत शिवलिंग तिलभांडेश्वर महादेव का है। इसके संबंध में बताया जाता है कि करीब दो हजार वर्ष पहले दक्षिण भारत के ऋषि विभांडक का आगमन यहां हुआ था। वे काशी विश्वनाथ के समक्ष तप करने जा रहे थे, किंतु इस शिवलिंग को देखकर वे हैरान रह गए और यहीं उन्होंने तप करने का निर्णय लिया। ऋषि भांडेश्वर ने यहां अनेक वर्षों तप किया और शिव की आराधना की। एक तिल बढ़ने और ऋषि के तप के कारण इसका नाम तिलभांडेश्वर महादेव पड़ गया।
कहा जाता है कि आकाशवाणी में ये बताया गया था कि कलियुग में भी प्रतिदिन यह शिवलिंग तिल-तिल बढ़ेगा, जो भी प्राणी इसे स्पर्श और दर्शन करेगा उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। यही नही यहां नौग्रहों की बाधा, तिल से चढ़ाने से शनि बाधा भी दूर होती है।
अंग्रेजों ने ऐसे कराया परीक्षण
ऐसा भी बताया जाता है कि अंग्रेजों ने परीक्षण के लिए शिवलिंग को बांध दिया था, किंतु दूसरे दिन उन्हें वह धागा टूटा हुआ मिला।
स्पर्श की अनुमति
महाशिवरात्रि पर मंदिर सुबह ही खुल जाता है इस दौरान शाम 6 बजे तक सभी को शिवलिंग स्पर्श, दर्शन की अनुमति होती है। शाम को निर्धारित समय पर शंख बजता है जिसके बाद महाशिवरात्रि का अनुष्ठान किया जाता है और अगली सुबह 6 बजे तक किसी को प्रवेश की अनुमति नही होती।
Created On :   11 Feb 2018 8:34 AM IST