योग निद्रा से जागेंगे जगत के पालनहार भगवान विष्णु, घर-घर शुरू होंगे मांगलिक कार्य

Lord Vishnu, the sustainer of the world, will wake up from Yoga Nidra, auspicious work will start from house to house
योग निद्रा से जागेंगे जगत के पालनहार भगवान विष्णु, घर-घर शुरू होंगे मांगलिक कार्य
देवउठनी एकादशी योग निद्रा से जागेंगे जगत के पालनहार भगवान विष्णु, घर-घर शुरू होंगे मांगलिक कार्य

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी का त्योहार मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन जगत के पालनहार भगवार श्रीहरि विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागते हैं और फिर सृष्टि की जिम्मेदारी संभालते हैं। देव जागरण के चलते इस दिन को प्रबोधनी, देवोत्थान एकादशी आदि नामों से जाना जाता है। इसी दिन शालीग्राम और तुलसी विवाह की मान्यता है। इसी दिन से विवाह, मुंडन, सगाई आदि मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस तीन व्रत रखा जाता है। इस दिन गन्ने का मंडप बनाकर पूजा की जाती है।

देवउठनी एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि 14 नवंबर 2021 सुबह 05ः48 बजे शुरू
एकादशी तिथि 15 नवंबर 2021 सुबह 06ः39 बजे समाप्त

देवोत्थान एकादशी का महत्व
इस एकादशी के दिन चतुर्मास की समाप्ति होती है। चतुर्मास में सावन, भादो, अश्वि और कार्तिक का महीना शामिल होता है। मान्यता है कि भगवान श्रीहरि शयनी एकादशी को चिर निद्रा में चलते जाते हैं और आज के दिन जागते हैं। इसीलिए इसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

देवउठनी एकादशी की पूजा विधि
इस दिन भक्तों सुबह जल्द उठकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की उपवास पूजा करें। भगवान विष्णु को धूप, दीप, फूल, फल और अर्घ्य अर्पित करें. इन मंत्रों का जाप करें.

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविंद त्यज निद्रां जगत्पते।त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्।।

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ वाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुंधरे। हिरण्याक्षप्राणघातिन् त्रैलोक्ये मंगलं कुरु।।

इयं तु द्वादशी देव प्रबोधाय विनिर्मिता।
त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थं शेषशायिना।।
इदं व्रतं मया देव कृतं प्रीत्यै तव प्रभो।
न्यूनं संपूर्णतां यातु त्वत्वप्रसादाज्जनार्दन।।

इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु को तिलक लगाकर फल अर्पित करें, नए वस्त्र भेंट करें और मिठाई आदि का भोग लगाएं. इस दिन रात में घरों में आटे का चौक बनाया जाता है उसपर गन्ना रखकर पूजा की जाती है. कहते हैं जिस घर में ये पूजा होती है उस पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। साथ ही सिंघाड़े को भी पूजा स्थल पर भगवान को अर्पित किया जाता है।

देव उठनी व्रत के लाभ

पापों का होता है नाश

माना जाता है कि देवउठनी एकादशी का व्रत करने से सभी अशुभ विचार  और संस्कारों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अकाल मृत्यु से बचाती है तुलसी पूजा

इस दिन शालीग्राम का मां तुलसी से विवाह हुआ था। इस दिन तुलसी पूजा करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन धूमधाम से तुलसी विवाह करना चाहिए, इससे सभी दोष दूर होते हैं। तुलसी पूजा अकाल मृत्यु से बचाती है। तुलसी पूजा से पितृदोष की समाप्ति होती है। इस दिन पूजा आदि करने से नाराज पितृ प्रसन्न हो जाते हैं और आपको दुखों से छुटकारा मिलता है।

विष्णु पूजा में इस मंत्र का करें जाप

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विशेष उपासना की जाती है साथ ही “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः“ मंत्र का जाप  करना चाहिए। इससे जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

चंद्र दोष होता है दूर

यदि कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में है तो इस दिन निर्जल एकादशी का व्रत करना चाहिए। और जल और फल ग्रहण करना चाहिए। इससे मानसिक स्थिति में सुधार होता है और चंद्र दोष दूर होता है।

कथा सुनने और बोलने से पुण्य की होती है प्राप्ति

इस दिन पूजा पाठ के साथ ही सत्यनारायण की कथा का वाचन करना चाहिए। यदि वाचन नहीं कर सकते तो श्रवण अवश्य करना चाहिए। इससे सभी तरह के पाप नष्ट होते हैं और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

एक हजार अश्वमेघ यज्ञों को मिलता है फल

मान्यता है कि जो भी जातक देवउठनी एकादशी का व्रत रखता है उसे हजार अश्वमेघ एवं सौ राजसूर्य यज्ञ के फलों की प्राप्ति होती है।

धन और समृद्धि में होती है वृद्धि

मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से जीवन के सभी कष्टों का अन्य होता है। और धन और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।

Created On :   11 Nov 2021 3:12 PM GMT

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