जानिए कब है विनायक चतुर्थी, इस मंत्र से करें भगवान गणेश की आराधना, संतान को मिलेगा लंबे जीवन का वरदान

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जानिए कब है विनायक चतुर्थी, इस मंत्र से करें भगवान गणेश की आराधना, संतान को मिलेगा लंबे जीवन का वरदान
धर्म जानिए कब है विनायक चतुर्थी, इस मंत्र से करें भगवान गणेश की आराधना, संतान को मिलेगा लंबे जीवन का वरदान

 डिजिटल डेस्क, भोपाल।   हिंदू पंचांग के अनुसार  वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इसे वरद चतुर्थी भी कहते हैं। इस बार विनायक चतुर्थी 4 मई 2022 दिन बुधवार को पड़ रही है। विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा की जाती है। इस गणेश जी पूजा करने से भक्तों के विघ्न दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

वैशाख विनायक चतुर्थी 2022 व्रत तिथि  
हिंदू पंचांग के अनुसार  विनायक चतुर्थी 04 मई को 7:33 बजे से शुरू हो जाएगी। अनुसार विनायक का समापन : 05 मई को 10:01 तक होगा। 

विनायक चतुर्थी पूजन विधि 2022 
विनायक चतुर्थी को प्रातः काल स्नानादि करके पीले कपड़े पहन लें। अब पूजा स्थल पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति रखें।  उसके बाद गणेश जी का जलाभिषेक करके सिंदूर का तिलक करें। अब उन्हें फूल, दूर्वा, फल, और मिष्ठान चढ़ाएं। साथ ही घी का दीपक जलाकर आरती करें। गणेश जी को दूर्वा जरुर चढ़ानी चाहिए क्योंकि उन्हें दूर्वा बहुत अधिक पसंद है। पूरे दिन फलाहारी व्रत रखकर अगले दिन व्रत का पारण करें। पारण के दिन सुबह पुनः भगवान गणेश जी की विधिवत पूजा करें।

गणेश मंत्रः
"ॐ मेघोत्काय स्वाहा। " - "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

विनायक चतुर्थी की कथा 

एक समय की बात है। राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार था। वह मिट्टी के बर्तन बनाता था। उसके बर्तन सही से आग में पकते नहीं थे और वे कच्चे रह जाते थे। अब मिट्टी के कच्चे बर्तनों के कारण उसकी आमदनी बहुत कम होती थी। इसी समस्या से परेशान होकर कुम्हार पुजारी के पास गया।  पुजारी ने कहा कि जब भी तुम बर्तनों को आंच में रखो तो एक छोटे बालक को भी आंच में डाल देना।  पुजारी की सलाह पर उसने अपने मिट्टी के बर्तनों को पकाने के लिए आंच में रखा और उसके साथ एक बालक को भी रख दिया। 

उस दिन विनायक चतुर्थी थी। बालक के न मिलने से उसकी मां परेशान हो गई। उसने गणेश जी से उसकी कुशलता के लिए प्रार्थना की। उधर कुम्हार ने देखा कि सभी मिट्टी के बर्तनों अच्छे से पक गए हैं और वह बालक भी जिंदा है। उसे कुछ नहीं हुआ था। यह देखकर वह कुम्हार डर गया और राजा के पास पहुंचा।
फिर राजा ने उस बालक और उसकी माता को दरबार में बुलाया।  तब उस महिला ने गणेश चतुर्थी व्रत के महात्म के बारे में बताया। इस घटना के बाद से ही महिलाएं अपने बच्चों की कुशलता के लिए विनायक चतुर्थी व्रत रखने लगे.

Created On :   28 April 2022 2:50 PM IST

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