जानें कब है वट पूर्णिमा व्रत, वट पूर्णिमा व्रत की मुहूर्त, शुभ तिथि, महत्व
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू पंचांग में पूर्णिमा तिथि का अपना एक अलग महत्व बताया गया है। पूर्णिमा तिथि वट पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाती है। पूर्णिमा तिथि के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। वट पूर्णिमा के व्रत का महत्व करवा चौथ के जितना ही माना जाता है। वट पूर्णिमा के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं। पति की दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना करती हैं। पूर्णिमा तिथि को वट वृक्ष के नीचे मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती हैं। बरगद के वृक्ष के चारों और परिक्रमा करती हैं। पूर्णिमा तिथि के दिन महिलाएं बड़ी श्रद्धा भाव से पूजन करती हैं।आइए जानते हैं वट पूर्णिमा व्रत की मुहूर्त, शुभ तिथि, महत्व और पूजा विधि के बारे में।
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत तिथि
पूर्णिमा तिथि आरंभ 14 जून, मंगलवार को वट पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। पूर्णिमा तिथि के समाप्त होने का समय 14 जून शाम 05 बजकर 30 मिनट तक। पूजा का शुभ मुहूर्त 14 जून सुबह 11 बजकर 12 बजकर 49 तक रहेगा।
वट सावित्री पूर्णिमा का महत्व
वट पूर्णिमा व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। माना जाता है, कि बरगद के पेड़ की आयु बहुत लंबी होती है। इसलिए महिलाएं भी बरगद की तरह अपने पति की लंबी आयु चाहती हैं और बरगद के पेड़ की तरह ही उनका परिवार की खुशियों से हरा-भरा रहे इसी कामना के साथ पूजा करती हैं।
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
वट पूर्णिमा दिन स्नान कर के सूर्य देव को जल अर्पित करें। इस के बाद वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान तथा यम की मिट्टी की मूर्तियां स्थापित कर पूजा करें। बरगद के पेड़ की जड़ को पानी से सींचें। जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, पुष्प तथा धूप भगवान को अर्पित करें। वट वृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें। इसके बाद सत्यवान सावित्री की कथा सुने। इसके बाद सास या सास के समान किसी सुहागिन महिला से आशीर्वाद लें।
Created On :   13 Jun 2022 4:08 PM IST