जया एकादशी: आज करें भगवान विष्णु की पूजा, मिलेगी पापों से मुक्ति
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग में एकादशी का काफी महत्व समझा गया है। वहीं माघ मास के शुक्लपक्ष के एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी सभी पापों को हरने वाली और उत्तम कही गई है। इस बार यह तिथि 5 फरवरी, बुधवार यानी कि आज है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। जया एकादशी के दिन भगवान की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है और कष्ट दूर होते हैं।
जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु को विशेष पकवान से भोग लगाया जाता है। इसके बाद रात में फिर से भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। जया एकादशी की पूजा और कथा सुनने के बाद गरीबों, ब्राह्मणों, जरूरतमंदों को दान पुण्य करने को भी शुभ माना गया है। आइए जानते हैं इस एकादशी व्रत व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
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जया एकादशी मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ - 04 फरवरी, रात 09 बजकर 51 से
एकादशी तिथि समाप्त -05 फरवरी, रात 09 बजकर 32 मिनट तक
पारणा मुहूर्त : 06 फरवरी, 07 बजकर 06 मिनट से, 09 बजकर 18 मिनट तक
कुल अवधि :2 घंटे 11 मिनट
मान्यता
मान्यताओं के अनुसार, जया एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करना शुभ माना गया है। वहीं, कई लोग जया एकादशी के दिन बिना पानी का एक घूंट पिए व्रत भी रखते हैं। पवित्र होने के कारण यह उपवासक के सभी पापों का नाश करती है और इसका प्रत्येक वर्ष व्रत करने से मनुष्यों को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मान्यता यह भी है कि इस दिन व्रत करने से भूत-प्रेत से मुक्ति मिलती है और सभी प्रकार के पापों का नाश होता है। एक मान्यता यह भी है कि जो जया एकादशी का व्रत और विधिवत पूजा करता है उसे भूत, प्रेत, पिशाच जैसी योनियों में नहीं भटकना पड़ता है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार खुद भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युद्धिष्ठिर को जया एकादशी व्रत का महत्व बताया था।
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व्रत विधि
जया एकादशी के विषय में जो कथा प्रचलित है उसके अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से निवेदन कर जया एकादशी का महात्म्य, कथा तथा व्रत विधि के बारे में पूछा था। तब श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि जया एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है। इस एकादशी का व्रत विधि-विधान से करने से तथा ब्राह्मण को भोजन कराने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है।
ऐसे करें व्रत की शुरुआत
भीष्म एकादशी के दिन प्रात: टूथपेस्ट ना करें नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उंगली से कंठ साफ कर लें, वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है। अत: स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर उपयोग करें। यदि यह संभव न हो तो पानी से बारह बार कुल्ले कर लें। फिर स्नानादि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें या पुरोहितजी से गीता पाठ का श्रवण करें।
Created On :   3 Feb 2020 7:31 AM IST