हरछठ आज, जानिए का क्या है इस त्यौहार का महत्व और पूजन विधि
डिजिटल डेस्क। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हरछठ मनाई जाती है, जिसे हलषष्ठी भी कहते हैं। इस साल हरछठ 1 सितंबर 2018 यानी शनिवार को है। यह त्यौहार रक्षा बंधन और श्रवण पूर्णिमा के छह दिनों के बाद ही आता है। भाद्रपद माह की छठी तिथि को महिलाएं अपने पुत्र के दीर्घायु होने और उन्हें असामयिक मौत से बचाने के लिए यह व्रत रखती है। यह व्रत संतान की इच्छा के लिए रखा भी जाता है।
शास्त्रों के मुताबिक यह त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता श्री बलरामजी को को समर्पित है। इस त्यौहार को भगवान बलराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। बलरामजी का शस्त्र हल और मूसल है, इसीलिए उन्हें हलधर भी कहा जाता है, इसी कारण इस पर्व को "हलषष्ठी या हरछठ" कहते हैं। लेकिन "हलषष्ठी या हरछठ को भारत के पूर्वी हिस्सों में इसे "ललई छठ" के नाम से भी जाना जाता है। ब्रज क्षेत्र में इस त्यौहार को बालदेव छठ के रूप में जाना जाता है और गुजरात में इस दिन रंधन छठ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से हल की पूजा करने और महुए की दातून करने की परंपरा है।
हरछठ पर ऐसे करें पूजन
- प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
- पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर गोबर लाएं।
- घर को लीपकर एक छोटा-सा तालाब बनाएं।
- इस तालाब में झरबेरी, ताश और पलाश की एक-एक शाखा बांधकर बनाई गई "हरछठ" को गाड़ दें।
- तत्पश्चात इसकी पूजा करें।
- पूजा में चना, जौ, गेहूं, धान, अरहर, मक्का तथा मूंग चढ़ाएं।
- इसके बाद धूल, हरी कजरियां, होली की राख चढ़ाएं।
- होली पर भुने हुए चने के होरहा और जौ की बालें चढ़ाएं।
- हरछठ के समीप ही कोई आभूषण और हल्दी से रंगा कपड़ा भी रखें।
- पूजन करने के बाद भैंस के दूध से बने मक्खन द्वारा हवन करें।
- पूजन करने के बाद पश्चात कथा कहें या सुनें।
अंत में इस मंत्र जाप कर भगवान से प्रार्थना करें : -
गंगाद्वारे कुशावर्ते विल्वके नीलेपर्वते।
स्नात्वा कनखले देवि हरं लब्धवती पतिम्॥
ललिते सुभगे देवि-सुखसौभाग्य दायिनि।
अनन्तं देहि सौभाग्यं मह्यं, तुभ्यं नमो नमः॥
इस पूजन का महत्व-
इस दिन हल पूजा का विशेष महत्व है।
हल जुता हुआ अन्न तथा फल खाने का विशेष माहात्म्य है।
हरछठ के दिन दिनभर निर्जला व्रत रखा जाता है।
चावल या महुए का लाटा बनाकर पारणा करने की मान्यता है।
यह व्रत पुत्रवती स्त्रियों को विशेष तौर पर करना चाहिए।
इस दिन महुए की दातुन करना चाहिए।
इस व्रत में विशेष रूप से गाय के दूध और उससे तैयार दही का प्रयोग कतर्इ वर्जित है। लेकिन इस व्रत में भैस के दूध, दही का सेवन किया जा सकता है।
Created On :   1 Sept 2018 11:01 AM IST