Guru Gobind Singh Jayanti 2021: कौन थे गुरु गोबिंद सिंह, जानिए गुरुपर्व का क्या है महत्व

Guru Gobind Singh Jayanti 2021: Know the importance of Guru Parv
Guru Gobind Singh Jayanti 2021: कौन थे गुरु गोबिंद सिंह, जानिए गुरुपर्व का क्या है महत्व
Guru Gobind Singh Jayanti 2021: कौन थे गुरु गोबिंद सिंह, जानिए गुरुपर्व का क्या है महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सवा लाख से एक लड़ाऊं तां गोविंद सिंह नाम धराऊं। गुरु गोविंद सिंह का यह वाक्य सैकड़ों साल बाद आज भी हमें अत्याचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत देता है। गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन संदेश देता है कि, जीवन में कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, चाहे परिस्थितियां कितनी भी बुरी क्यों न हो। हमेशा अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए काम करते रहना चाहिए। आप हमेशा कुछ नया सीखते रहेंगे, तो आप में सकरात्मकता का संचार होगा। गोबिंद सिंह जी के जन्म उत्सव को ‘गुरु गोबिंद जयंती’ या ‘गुरु पर्व’ के रुप में मनाया जाता है। जो कि इस बार 20 जनवरी 2021 बुधवार को है।

सिख समुदाय के दसवें धर्म गुरु सतगुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को बिहार के पटना में हुआ था। उनकी जयंती के  अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम सहित गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। आइए जानते हैं गुरु गोबिंद के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें...

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कौन थे गुरु गोबिंद सिंह
गुरु गोबिंद सिंह एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ एक निर्भयी योद्धा, कवि और दार्शनिक भी थे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इन्होंने ही गुरु ग्रंथ साहिब को पूर्ण किया। कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंत की रक्षा के लिए कई बार मुगलों का सामना किया था। 

गुरु गोबिंद सिंह को ज्ञान, सैन्य क्षमता आदि के लिए जाना जाता है। गुरु गोबिंद सिंह ने संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएं भी सीखीं थी साथ ही उन्होंने धनुष.बाण, तलवार, भाला चलाने की कला भी सीखी।

सिखों के लिए 5 चीजें- बाल, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण करने का आदेश गुरु गोबिंद सिंह ने ही दिया था। इन चीजों को "पांच ककार" कहा जाता है, जिन्हें धारण करना सभी सिखों के लिए अनिवार्य होता है।

गुरु गोबिंद सिंह एक लेखक भी थे, उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की थी। उन्हें विद्वानों का संरक्षक माना जाता था। कहा जाता है कि उनके दरबार में हमेशा 52 कवियों और लेखकों की उपस्थिति रहती थी। इस लिए उन्हें संत सिपाही भी कहा जाता था।

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गुरु गोबिंद सिंह जी की रचनाएं
गुरु गोबिंद सिंह की गिनती महान लेखकों और रचनाकारों में होती है। उन्‍होंने "जाप" साहिब, "अकाल उस्‍तत", "बिचित्र नाटक", "चंडी चरित्र", "शास्‍त्र नाम माला", "अथ पख्‍यां चरित्र लिख्‍यते", "जफरनामा" और "खालसा महिमा" जैसी रचनाएं लिखीं।  "बिचित्र नाटक" को उनकी आत्‍मकथा माना जाता है, जोकि "दसम ग्रन्थ" का एक भाग है। 

जयंती का महत्व
माना जाता है कि दसवें गुरु जी की शिक्षाओं का सिखों पर बड़ा प्रभाव है। यह वास्तव में उनके मार्गदर्शन और प्रेरणा के तहत था कि खालसा ने एक सख्त नैतिक संहिता और आध्यात्मिक झुकाव का पालन किया। योद्धा, आध्यात्मिक गुरु, लेखक और दार्शनिक, गुरु गोबिंद सिंह ने कई साहित्यिक कृतियों का भी उल्लेख किया है। 1708 में, अपनी मृत्यु से पहले, दसवें गुरु ने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब को स्थायी सिख गुरु घोषित किया। 

Created On :   19 Jan 2021 5:18 AM GMT

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