भगवान श्रीकृष्ण ने शुरू कराई थी ये पूजा, जानें इसका महत्व
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपाद तिथि यानी कि दीपावली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 05 नवंबर 2021, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन गोबर का गोबर्धन बनाया जाता है इसका खास महत्व होता है। इस दिन सुबह-सुबह गाय के गोबर से गोबर्धन बनाया जाता है। यह मनुष्य के आकार के होते हैं। गोबर्धन तैयार करने के बाद उसे फूलों और पेड़ों का डालियों से सजाया जाता है। गोबर्धन को तैयार कर शाम के समय इसकी पूजा की जाती है।
पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा की बजाय गोवर्धन की पूजा शुरू करवाई थी। इस पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, खील, बताशे आदि उपयोग किया जाता है। गोवर्धन में ओंगा यानि अपामार्ग की डालियां जरूर रखी जाती हैं। इस दिन गायों की सेवा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल में माना गया है।
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गोवर्धन पूजा मुहूर्त
शुभ मुहूर्त: सुबह 06:35 मिनट से 08:47 मिनट तक
कुल अवधि : 2 घंटे 11 मिनट
सायंकाल मुहूर्त : दोपहर 03 बजकर 21 मिनट से शाम 5 बजकर 33 मिनट तक
कुल अवधि : 2 घंटे 11 मिनट
पूजा विधि
- गोवर्धन पूजा के दिन सुबह शरीर पर तेल की मालिश करके स्नान करना चाहिए।
- घर के द्वार पर गोबर से प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत बनाएं।
- इस पर्वत के बीच में पास में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रख दें।
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- अब गोवर्धन पर्वत और श्री कृष्ण को विधिन्न प्रकार के पकवानों व मिष्ठानों का भोग लगाएं।
- साथ ही देवराज इंद्र, वरुण, अग्नि और राजा बलि की भी पूजा करें।
- पूजा के बाद कथा सुनें।
- प्रसाद के लिए दही और चीनी का मिश्रण बनाएं और सब में बांटे।
- इसके बाद ब्राह्मण को भोजन करवाकर उसे दान-दक्षिणा दें।
Created On :   30 Oct 2021 6:10 PM IST