देवी अन्नपूर्णा की पुरी, भक्तों के लिए यहां महादेव ने मांगी थी भिक्षा
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डिजिटल डेस्क, काशी। इस शहर में आज भी कोई भूखा नही सोता। यहां की मान्यताएं अद्भुत हैं। मान्यता है कि यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां मां अन्नपूर्णा से भगवान महादेव ने भिक्षा मांगी थी। यहां मां अन्नपूर्णा के सम्मुख मां महादेव की भिक्षा मांगते हुए प्रतिमाएं स्थापित हैं। यही नहीं इस मंदिर के पट साल में सिर्फ तीन बार खुलते हैं। यहां दान में धान की बाली और लावा दिया जाता है। इस मंदिर में साल में एक बार खजाना भी बांटा जाता है। यह दिन धनतेरस का होता है। ये धन-धान्य ही नहीं वैराग्य का दान भी देती है। आज अन्नपूर्णा जयंती के अवसर पर यहां हम अन्नपूर्णा पीठ के बारे में आपको बताने जा रहे हैं...
अन्नपूर्णा से होती है याचना
बाबा विश्वनाथ काशी में शरीर त्यागने वाले को तारक मंत्र देकर मुक्ति प्रदान करते हैं किंतु इसकी याचना मां अन्नपूर्णा से ही की जाती है। गृहस्थ धन.धान्य की और योगी इनसे अपार ज्ञान और वैराग्य का भिक्षाटन करने यहां आते हैं। कलयुग में देवी अन्नपूर्णा की नगरी या उनकी पुरी जहां वे साक्षात निवास करती हैं काशी है किंतु संपूर्ण संसार उनके ही नियंत्रण में आराधना कर रहा है। उनके यहां बसने की कथा भी बड़ी ही रोचक है।
कलयुग में मां अन्नपूर्णा की पुरी
कहा जाता है कि विवाह के उपरांत जब मां पार्वती काशी आयीं तो उन्होंने यहीं बसने का निर्णय लिया, किंतु उस वक्त काशी पूर्णतः श्मशान थी। अतः किसी साधारण स्त्री के समान ही उन्हें यह नही भाया। इस पर बाबा काशी विश्वनाथ ने यह व्यवस्था की कि सतयुग, द्वापर व त्रेता युग में यह श्मशान रहे, किंतु कलयुग में मां अन्नपूर्णा की पुरी के रुप में ही बसे। इसी वजह से यहां का प्रधान पीठ अन्नपूर्णा पीठ ही है।
देवी ने दिया महादेव काे वचन
खजाना बांटने को लेकर मंदिर की मान्यता है कि एक बार काशी में भयंकर आकाल पड़ा, भक्तों की पुकार से विचलित होकर स्वयं महादेव ने माता के सम्मुख भिक्षा मांगी। देवी इससे अति प्रसन्न एवं भावुक हो गईं। उन्होंने महादेव का वचन दिया कि आज के बाद काशी में युगों तक कोई भूखा नही सोएगा। कहा जाता है कि यहां आने वाला भक्त देवी की कृपा से कभी भूखा नही रहता, फिर चाहे वह यहां खाली हाथ ही क्यों ना आए।
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Created On :   3 Dec 2017 8:54 AM IST