10 लाख दीपों से रोशन होगा काशी विश्वनाथ परिसर,जानें क्यों मनाया जाता है यह पर्व
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दीपावली का त्योहार बीते माह देशभर में धूमधाम से मनाया गया, वहीं इस माह में देवउठनी ग्यारस पर भी दीपक जलाए गए। अब बारी है देव दिवाली की, जो कि कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है और इस वर्ष यह 7 नवंबर को है। वैसे तो इसे पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा उत्साह वाराणासी में देखने मिलता है। यहां गंगा के तट दीपों से जल उठते हैं। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके दीपदान का विधान है।
माना जाता है कि, देव दीपावली के दिन दीपदान करने से जीवन में संपन्नता व सुख-समृद्धि आती है। देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष बाबा विश्वनाथ का धाम 80 लाख रुपए के फूलों से सजेगा। वहीं यहां 10 लाख दीप जलाए जाएंगे। आइए जानते हैं इस पर्व के बारे में...
शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 07 नवम्बर 2022, शाम 04:15 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 08 नवम्बर 08 2022, शाम 04:31 बजे तक
प्रदोषकाल मुहूर्त: शाम 05:14 बजे से 07:49 बजे तक
क्यों मनाई जाती है देव दिवाली
देव दिवाली को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना पर त्रिपुरासुर के अत्याचारों से संसार को मुक्त कराया था। देवताओं को राक्षस त्रिपुरासुर के कुकृत्यों से मुक्ति मिली थी। इसी खुशी में देवताओं ने काशी में दीये जलाए थे, जिसे देव दिवाली कहा गया। यही कारण है कि हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर काशी में हर दिवाली मनाई जाती है।
दीपदान करें
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, देव दिवाली पर शाम के समय प्रदोष काल में 11, 21, 51 या 108 दीपदान करना चाहिए। इसके लिए आटे के दिए बनाकर उनमें तेल या घी डालें और किसी पवित्र नदी पर पहुंचकर ईष्ट देवों का स्मरण करते हुए प्रज्जवलित करने के बाद नदी में विसर्जित करना चाहिए।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   5 Nov 2022 8:55 PM IST