Chaitra Navratri 2020: ऐसे करें मां स्कंदमाता की आराधना, इन मंत्रों का जाप करें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्रि के पूरे 9 दिनों में देवी मां के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन दिनों चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। इसके पांचवे दिन आज रविवार को मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की रही है। माना जाता है कि तंत्र साधना में माता का सम्बन्ध विशुद्ध चक्र से है। ज्योतिष में इनका सम्बन्ध बृहस्पति नामक ग्रह से है।
स्कन्दमाता परम सुख को प्रदान करने वाली और समस्त मानव जाति के मोक्ष के द्वार को खोलने वाली हैं। स्कन्दमाता अपने भक्तों की समस्त मनोकामना की पूर्ति करती हैं। देवी स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त मनोकनाएं पूर्ण हो जाती हैं। देवी मां के इस स्वरूप का नाम स्कंद क्यों रखा गया और क्या है इनकी महिमा, आइए जानते हैं...
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इसलिए रखा ये नाम
शिवपुत्र "कार्तिकेय" स्कंद कुमार के नाम से भी जाने जाते हैं। कार्तिकेय देव देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इनको कुमार और शक्ति बल कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। अतः इनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनकी गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुए हैं। अतः इनकी पूजा से कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है।
ऐसा है स्वरूप
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की ऊपर की भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। दाईं तरफ की नीचे वाली भुजा वरमुद्रा में और ऊपर वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प लिए हुए हैं। ये कमलासन पर विराजमान रहती हैं। जिस कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है और सिंह इनका वाहन है।
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स्कंदमाता की कृपा प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र को कंठस्थ कर जाप करना चाहिए।
स्तुति मन्त्र:-
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
Created On :   28 March 2020 3:13 PM IST