बुद्ध पूर्णिमा 2021: इस दिन बन रहे दो शुभ योग, जानें पूजा विधि और मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख मास की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा एक ऐसा त्योहार है, जिसे हिन्दू और बौद्ध दोनों धर्म के अनुयायी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस पूर्णिमा को बेहद शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 26 मई, बुधवार को पड़ रही है।
वैशाख की बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का संचार होता है। हालांकि यदि आप किसी पवित्र नदी या गंगा नदी तक नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगा जल डालकर स्नान के समय गंगा का ध्यान करें। इस पर्व को लेकर क्या है मान्यता और कैसे करें पूजा, आइए जानते हैं...
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शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 25 मई, मंगलवार, रात 08 बजकर 29 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समापन: 26 मई, बुधवार, शाम 04 बजकर 43 मिनट तक।
शिव योग: 25 मई, रात 10 बजकर 52 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग आरंभ: 26 मई, सुबह 06 बजकर 01 मिनट से
सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग समापन: 26 मई, देर रात 01 बजकर 16 मिनट तक
मान्यता
मान्यता है कि इसी दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध ने जन्म लिया था। वहीं, हिन्दू धर्म में बुद्ध को श्री हरि विष्णु का अवतार माना जाता है, इसलिए हिन्दुओं के लिए भी इस पूर्णिमा का विशेष महत्व है। ऐसे में दोनों धर्म के लोग इसे धूम धाम से मनाते हैं। हालांकि इस बार भी पिछले वर्ष की भांति कोरोना के चलते इस उत्सव का धूम धाम से नहीं मनाया जाएगा।
दुनियाभर में मनाई जाती है बुद्ध जयंती
बुद्ध जयंती भारत के साथ साथ चीन, नेपाल, जापान, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, कंबोडिया, जैसे दुनिया के कई देशों में बुद्ध पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है। बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दिये जलाते हैं और फूलों से घर सजाते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है।
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ऐसे करें पूजा
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- गंगा नदी में स्नान करें या फिर सादे पानी से नहाकर गंगाजल का छिड़काव करें।
- घर के मंदिर में विष्णु जी की दीपक जलाकर पूजा करें।
- घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और गंगाजल छिड़कें।
-बोधिवृक्ष के आस-पास दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध विसर्जित कर फूल चढ़ाएं।
गरीबों को भोजन और कपड़े दान करें.
- अगर आपके घर में कोई पक्षी हो तो आज के दिन उन्हें आजाद करें।
- रौशनी ढलने के बाद उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें।
Created On :   25 May 2021 5:47 AM GMT