कैसे करें बप्पा को प्रसन्न, जानें मुहूर्त और पूजा विधि
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी पंचांग के अनुसार, वर्ष के प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी को क्रमशः संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-उपासना की जाती है। संकष्टी चतुर्थी के व्रत को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी 21 मार्च, सोमवार को पड़ रही है।
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, लंबोदर, गजानन, गणपति, बप्पा, गणेश आदि भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से गणपति बप्पा की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पर चन्द्रोदय 21 मार्च की रात 8 बजकर 23 पर होगा। आइए जानते हैं पूजा विधि...
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व्रत विधि:
इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं। साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।
पूजन विधि
- सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।
- इसके बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प लें।
- अब पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें।
- चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
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- भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।
- अब अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें।
- इसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
- एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाएं।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें।
- इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें। पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
Created On :   17 March 2022 4:34 PM IST