बसंत पंचमी: आज दोपहर तक मनाया जाएगा यह त्यौहार, जानें विद्या और बुद्धि की देवी की पूजा का शुभ मुहूर्त
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शरद ऋतु के बाद बसंत ऋतु और फसल की शुरूआत होती है। इसी के साथ माघ शुक्ल पंचमी के दिन बसंत पचंमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी दो दिनों तक मनाई जा रही है। देश के कई हिस्सों में जहां कल बुधवार को यह त्यौहार मनाया गया। वहीं ज्योतिषविदों का मानना है कि गुरुवार को बसंत-पंचमी मनाना श्रेष्ठ और शास्त्र सम्मत होगा। ऐसे में आज भी देश भर में यह त्यौहार धूम धाम से मनाया जा रहा है।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। देवी सरस्वती को विद्या एवं बुद्धि की देवी माना जाता है। इस पर्व को भारत के कई इलाकों में सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती से विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान प्राप्त किया जाता है। इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं, पतंग उड़ाते हैं और मीठे पीले रंग के चावल का सेवन करते हैं। पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है। बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है। इस ऋतु में न तो चिलचिलाती धूप होती है, न सर्दी और न ही वर्षा, बसंत में पेड़-पौधों पर ताजे फल और फूल आते हैं। आइए जानते हैं बसंत पंचमी के दिन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
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बसंत पंचमी मुहूर्त
- बुधवार सुबह 10.46 बजे पंचमी तिथि शुरू
- गुरुवार दोपहर 01.20 बजे तक रहेगी।
पूजा विधि
सुबह स्नान करके पीले या सफेद वस्त्र धारण करें, मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। मां सरस्वती को सफेद चंदन, पीले और सफेद फूल अर्पित करें। उनका ध्यान कर ऊं ऐं सरस्वत्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। मां सरस्वती की आरती करें दूध, दही, तुलसी, शहद मिलाकर पंचामृत का प्रसाद बनाकर मां को भोग लगाएं।
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इसलिए पहनते हैं पीले वस्त्र
बसंत पंचमी के दिन नवयौवनाएं और स्त्रियां पीले रंग के परिधान पहनती हैं। गांवों-कस्बों में पुरुष पीला पाग (पगड़ी) पहनते है। हिन्दू परंपरा में पीले रंग को बहुत शुभ माना जाता है। यह समृद्धि, ऊर्जा और सौम्य उष्मा का प्रतीक भी है। इस रंग को बसंती रंग भी कहा जाता है। भारत में विवाह, मुंडन आदि के निमंत्रण पत्रों और पूजा के कपड़े को पीले रंग से रंगा जाता है।
Created On :   25 Jan 2020 8:43 AM IST