बन रहा है त्रिवेणी योग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

Basant Panchami 2022: know muhurta, importance and worship method
बन रहा है त्रिवेणी योग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
बसंत पंचमी 2022 बन रहा है त्रिवेणी योग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 05 फरवरी, शनिवार को मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। देवी सरस्वती को विद्या एवं बुद्धि की देवी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन उनसे विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान प्राप्त किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। 

बसंत पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त होता है। जिसमें विवाह, सगाई और निर्माण जैसे शुभ कार्य बिना मुहूर्त के किए जाते हैं। इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं, पतंग उड़ाते हैं और मीठे पीले रंग के चावल का सेवन करते हैं। पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है। आइए जानते हैं पूजा का मुहूर्त और विधि के बारे में...

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24 घंटे की पंचमी तिथि
तिथि आरंभ: शुक्रवार रात्रि 3 बजकर 46 मिनिट से
तिथि समापन: शनिवार अपर रात्रि 3 बजकर 46 मिनिट तक 

शुभ मुहूर्त
इस वर्ष बसंत पंचमी बेहद खास मानी जा रही है, क्योंकि इस दिन खास योग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, सिद्ध व साध्य योग, सूर्य बुध का बुधादित्य योग, सभी सात ग्रह चार भावों में स्थित होकर केदार नामक राजयोग बना रहे हैं। यही नहीं रवि योग का शुभ संयोग होने से त्रिवेणी योग इस दिन बन रहा है। 

सिद्धयोग: 4 फरवरी सुबह 7 बजकर 10 मिनट से 5 फरवरी को शाम 5 बजकर 40 मिनट तक 
साध्य योग: 5 फरवरी शाम 5 बजकर 41 मिनट से अगले दिन 6 फरवरी को शाम 4 बजकर 52 मिनट तक 

पूजा विधि 
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और स्ना​नादि से निवृत्त हों।
- पीले या सफेद वस्त्र धारण करें और भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं।
- अब घर का मंदिर साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें। मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। 
- मां सरस्वती को सफेद चंदन, पीले और सफेद फूल अर्पित करें। 
- ऊं ऐं सरस्वत्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। 
- मां सरस्वती की आरती करें दूध, दही, तुलसी, शहद मिलाकर पंचामृत का प्रसाद बनाकर मां को भोग लगाएं।

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देवी सरस्वती के मंत्र: 
श्लोक – ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च

Created On :   4 Feb 2022 8:59 AM GMT

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