यक्षिणी साधना, प्रसन्न होते ही देती हैं आपको अपार धन, समृद्धि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पुरातन काल से ही तंत्र साधना का उल्लेख मिलता है। ढेरों शक्तियां, धन और साम्राज्य एकत्रित करने के लिए लोग तंत्र-मंत्र का सहारा लेते हैं। कठिन साधना और तंात्रिक शक्तियों को जाग्रत करने के साथ ही यक्षिणी साधना का भी उल्लेख मिलता। युद्धों में विजयी होने के साथ ही अपने शत्रु से के राज्य को प्राप्त करने के लिए भी इनका सहारा लिया जाता था। पहले इनकी साधना कर इन्हें प्रसन्न किया जाता था इसके बाद इनसे अपने काम कराए जाते थे।
यक्ष और यक्षिणियों की संख्या आठ बतायी गई है। यक्षिणी साधक के सामने बेहद सुंदर रूप में प्रकट होती हैं। इनका रूप इतना मनोहारी होता है कि कोई भी उन पर मोहित हो जाए। ये हैं सुर सुन्दरी, मनोहारिणी, कनकावती, कामेश्वरी, रति प्रिया, पद्मिनी नटी और अनुरागिणी। यहां हम आपको अनुरागिणी यक्षिणी की साधना के संबंध में जानकारी दे रहे हैं...
पहले करें तैयारी
साधना की तैयारी जिस भी स्थान पर करें वहां कोई अन्य व्यक्ति ना हो अर्थात स्थान ऐसा हो जहां कोई विघ्न ना डाल सके और ना ही आपको पूजन करते देख सके।
यह साधना नित्य रात्रि के काल में की जाती है।
साधना प्रारंभ करने से पहले यक्षिणी का चित्र साधना स्थल पर रख दें या लगा दें।
जब आप साधना कर रहे होते हैं तो आपको कोई ना कोई अनुभूति अवश्य होगी, किंतु स्मरण रहे कि इसके बारे में आप किसी को नही बताएंगे।
साधना स्थल किसी भी स्थिति में छोड़कर ना जाएं। ऐसे करने से आपकी साधना भंग हो सकती है।
साधना विधि
अनार की कलाम बनाकर लाल चंदन से यक्षिणी का नाम लिखें और उसे आसन पर बैठाएं।
इसके पश्चात आव्हान के लिए पूजा करें और मंत्रोच्चरण भी करें।
मंत्रोच्चार के वक्त ध्यान भंग नही होना चाहिए। 10 हजार से ज्यादा 1 लाख तक का जप का संकल्प लेकर ही जप प्रारंभ करें।
जप पूर्ण होने के बाद 108 बार आहुति दें और हवन करें। साधना हवन के बाद वहीं सो जाएं।
यह विधि पूर्ण रूप से किसी के मार्गदर्शन में ही प्रारंभ करें। अन्यथा इसके दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं।
Created On :   24 Nov 2017 10:25 AM IST