जानिए 'अमरनाथ कथा' सुनाने भगवान शिव ने क्यों चुनी थी ये गुफा...
डिजिटल डेस्क, जम्मू। अमरनाथ यात्रा, बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए यहां हर साल हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। अमरनाथ की इस पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने माता पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाया था। जो कथा भगवान शिव ने माता को सुनाई थी उसे अमरनाथ कथा कहा जाता है। इस वजह से ही इस कथा का नाम अमरनाथ पड़ा।
ध्यान पूर्वक उसे सुनता रहा कबूतर का जोड़ा
ऐसा वर्णन मिलता है कि जो भी इस कथा को सुन लेता वह वह अमर हो जाता है। इसलिए भगवान शंकर यह कथा सुनाने के लिए इस गुफा में लेकर आए, किंतु कथा सुनते-सुनते माता पार्वती की नींद लग गई और उसी गुफा में बैठा एक कबूतर का जोड़ा बड़े ही ध्यान पूर्वक उसे सुनता रहा।
शिव पार्वती देते हैं अपने प्रत्यक्ष दर्शन
इस वजह से कबूतरों का ये जोड़ा सदा के लिए अमर हो गया, और आज भी वह इसी गुफा में रहता है। हालांकि इनके दर्शन करना भी एक अति दुर्लभ कार्य है। ऐसी मान्यता है कि जिन श्रद्धालुओं को कबूतरों का यह जोड़ा दिखाई देता है उन्हें शिव पार्वती अपने प्रत्यक्ष दर्शन जीवनकाल में एक बार अवश्य देते हैं और संसार से मुक्ति का मार्ग प्रदान करते हैं।
रास्ते में मिलते हैं ये समस्त स्थान
इस कथा के महत्व का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भगवान शिव जब पार्वती को अमर कथा सुनाने ले जा रहे थे तो उन्होंने छोटे-छोटे अनंत नागों को अनंतनाग में, माथे के चंदन को चंदनबाड़ी में उतार दिया था। नाग को शेषनाग नामक स्थान पर छोड़ दिया था। आज जब कोई श्रद्धालु अमरनाथ बाबा के दर्शनों के लिए जाता है तो उसे रास्ते में ये समस्त स्थान मिलते हैं। ऐसा उल्लेख मिलता है कि अमरनाथ का रास्ता 16 वीं शताब्दी में एक मुस्लिम गड़रिए ने खोजा था। अमरनाथ की मुख्य गुफा तक पहुंचने से पहले रास्ते में अनेक छोटी-छोटी गुफाएं मिलती हैं।
Created On :   15 Dec 2017 10:05 AM IST