स्मरण मात्र का पुण्य, इस वृक्ष को देखकर आश्चर्य में पड़ गए थे देवता

Aamlaki ekadashi vrat 2018, Facts About the Amla or Aawla tree
स्मरण मात्र का पुण्य, इस वृक्ष को देखकर आश्चर्य में पड़ गए थे देवता
स्मरण मात्र का पुण्य, इस वृक्ष को देखकर आश्चर्य में पड़ गए थे देवता


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आमलाकी एकादशी 26 फरवरी 2018 को मनाई जा रही है। इस दिन आंवले के पूजन से परम पुण्यों की प्राप्ति होती है। यह वृक्ष भगवान विष्णु का प्रिय है। ठीक वैसे ही जैसे कि एकादशी श्रीहरि को अतिप्रिय है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु को प्रसन्न करना है तो आमलाकी एकादशी व्रत धारण करें। इससे भूलवश किए गए पापों का तो नाश होता ही है साथ भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं। यहां हम आपको आंवले के इसी पौराणिक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं...


आमलकी (आंवला)एकादशी पर आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है साथ ही इसी दिन अन्नपूर्णा की सोने या चांदी की मूर्ति के दर्शन किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह पापों का नाश करने वाला कर्म है। 

नवीन चेतना का आभास
आंवले के इस वृक्ष की उत्पत्ति भगवान विष्णु द्वारा की गई थी। ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि इसी समय भगवान ने ब्रह्मदेव को भी उत्पन्न किया था। जिससे इस सृष्टि के समस्त जीव उत्पन्न हुए। संसार ने एक नवीन चेतना का आभास किया। 


दो से तीन गुणा हो जाता है पुण्य फल
ऐसी मान्यता है कि जब यह वृक्ष उत्पन्न हुआ तो इसे देखकर देवताओं को बड़ा ही आश्चर्य हुआ। उसी दौरान एक आकाशवाणी हुई कि देवों एवं ऋषियों यह वृक्ष सबसे उत्तम है। यह विष्णु प्रिय है एवं आंवले का वृक्ष है। यही वह वृक्ष है जिसके स्मरण मात्र से गौ दान का फल, स्पर्श से पुण्यों का फल दो गुणा  एवं इसके फलों को खाने से तीन गुणा पुण्य प्राप्त होता है। यही नही यह वृक्ष सभी पापों का हरने वाला है।

 

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कहां किसका वास
-इसके मूल में साक्षात स्वयं भगवान विष्णु
-ऊपर ब्रह्मा 
-स्कन्ध में रुद्र
-टहनियों में मुनि व देवता
-पत्तों में वसु
-फूलों में मरुद्गण 
-फलों में सारे प्रजापति निवास करते हैं। 

Created On :   26 Jan 2018 8:26 AM IST

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