Makar Sankranti 2025: 19 साल बाद मकर संक्रांति पर बन रहा दुर्लभ संयोग, जानें महापुण्य काल का मुहूर्त
- 14 जनवरी के दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति
- 19 साल बाद मकर भौम पुष्य योग का संयोग
- पुण्यकाल सुबह 09:03 मिनट से शुरू होगा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti) हर वर्ष धूम- धाम से मनाया जाता है। लेकिन, इस वर्ष तिथि को लेकर कई लोगों में असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है। क्योंकि, बीते तीन वर्षों में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाता रहा है। लेकिन, ज्योतिषाचार्य के अनुसार तीन साल बाद मकर संक्रांति का यह त्योहार 14 जनवरी 2025, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, 19 साल बाद मकर संक्रांति पर भौम पुष्य योग का संयोग भी बन रहा है, जिसमें शुभ और मांगलिक कार्य किए जाते हैं। आइए जानते हैं इस पर्व का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि...
शुभ मुहूर्त
पुण्यकाल: 14 जनवरी 2025, मंगलवार, सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक
महा पुण्यकाल: 14 जनवरी 2025, मंगलवार, सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक
मकर संक्रांति का महत्व
पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब ये त्योहार मनाया जाता है। इसलिए इस पर्व को उत्तरायण आदि नामों से भी जाना जाता है। इसी दिन से ऋतु परिवर्तन की शुरुआत भी होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। ऐसे यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व होता है। साथ ही इस दिन खिचड़ी खाने की परंपरा है।
दान-पुण्य का महत्व
मकर संक्रांति के पर्व पर शुभ मुहूर्त में दान-पुण्य का काफी महत्व है। इस दिन गुड़ का दान करना चाहिए। माना जाता है कि, ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और कुंडली में शनि दोष खत्म हो जाते हैं।
पूजा विधि
- इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि से निवृत्त होकर साफ और पीले वस्त्र पहनें।
- संभव हो तो इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें और संभव ना हो तो घर पर पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
- मकर संक्रांति पर तिल को पानी में मिलाकार स्नान करना शुभ माना जाता है।
- यदि व्रत रखना चाहते हैं तो भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन सूर्य चालीसा पढ़ना शुभ माना जाता है, आप आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं।
- मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण जरूर देना चाहिए।
- पूजा के अंत में सूर्य भगवान की आरती करें और गरीबों को दान जरूर दें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   13 Jan 2025 5:16 PM IST