Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर 300 वर्षों बाद बन रहा ये अद्भुत संयोग, जानिए शिव पूजन का शुभ महूर्त और विधि
- इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 08 मार्च शुक्रवार को है
- भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है
- इस दिन व्रती को सुबह सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देवों के देव महादेव की कृपा प्राप्त करने का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि (Mahashivratri) हर वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन व्रत रखने और पूरी विधि विधान से पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। वास्तव में, शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। इस वर्ष ये पर्व 08 मार्च 2024, शुक्रवार यानि कि आज मनाया जा रहा है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस वर्ष की महाशिवरात्रि खास है। 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व ग्रहों की शुभ युति तथा शिवयोग के सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगा। वहीं, इस प्रकार के अद्भुत संयोग व ग्रह स्थिति 300 साल में एक या दो बार ही बनती है। इस योग में की गई पूजा का फल शीघ्र प्राप्त होता है। आइए जानते हैं पूजा की विध और मुहूर्त...
तिथि कब से कब तक
चतुर्दशी तिथि आरंभ: 08 मार्च 2024, शुक्रवार रात 09 बजकर 47 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समापन: 09 मार्च 2024, शनिवार शाम 06 बजकर 17 मिट पर
कब रखें व्रत: पंडित जी के अनुसार, महाशिवरात्रि व्रत के पूजा निशिता काल में की जाती है, इसलिए महाशिवरात्रि व्रत 08 मार्च को रखा जाएगा।
पूजा का मुहूर्त
प्रथम प्रहर की पूजा समय: 8 मार्च शाम 06.25 बजे से रात्रि 09.28 बजे तक
दूसरे प्रहर की पूजा का समय: रात 09.28 बजे से 9 मार्च मध्य रात्रि 12.31 बजे तक
तीसरे प्रहर की पूजा का समय: 9 मार्च मध्य रात्रि 12.31 बजे से सुबह 03.34 बजे तक
चतुर्थ प्रहर की पूजा का समय: 9 मार्च को सुबह 03.34 बजे से सुबह 06.37 बजे तक
पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन व्रती को सुबह सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए।
इसके बाद स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के साथ ही व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद मस्तक पर भस्म का तिलक और गले में रुद्राक्ष माला धारण करें।
घर के मंदिर या शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं नमस्कार करें।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं।
पूरी रात्रि का दीपक जलाएं, चंदन का तिलक लगाएं।
भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं।
भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
इसके बाद केसर युक्त खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांटें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   7 March 2024 11:25 AM GMT