जयंती: जानिए कौन थे महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती? जिन्होंने मानव कल्याण में लगा दिया था सारा जीवन
- स्वामी जी ने आर्य समाज की स्थापना की थी
- वे आधुनिक भारत के महान चिन्तक रहे हैं
- उनके काम और समर्पण को याद किया जाता है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती की जयंती (Maharishi Dayanand Saraswati Jayanti) मनाई जाती है। इस वर्ष यह जयंती 05 मार्च, मंगलवार यानि कि आज है। वे आर्य समाज के संस्थापक और आधुनिक भारत के महान चिन्तक और समाज-सुधारक रहे हैं। उनके काम और समर्पण को याद करते हुए ही यह जयंती मनाई जाती है।
ऐसा कहा जाता है कि, महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपना सारा जीवन मानव कल्याण, धार्मिक कुरीतियों पर रोकथाम और विश्व की एकता को बनाए रखने को लेकर समर्पित कर दिया था। इसलिए भारत में जितने भी वैदिक संस्थान और धार्मिक प्रतिष्ठान हैं, इस तिथि पर बड़े ही धूम-धाम से उनकी जयंती मनाई जाती है। आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें...
कुछ ऐसा था स्वामी जी का जीवन
महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती के बचपन का नाम मूलशंकर था। ऐसा कहा जाता है कि, मूल नक्षत्र में पैदा होने के कारण इनके पिता ने इनका नाम मूलशंकर तिवारी रखा था। वे सिर्फ 2 वर्ष की आयु में ही गायत्री मंत्र का पाठ करने लगे थे। चूंकि, परिवार बहुत ही धार्मिक परिवार था। ऐसे में 14 वर्ष की आयु में आते-आते मूलशंकर ने धर्मशास्त्रों सहित संपूर्ण संस्कृत व्याकरण, सामवेद व यजुर्वेद का अध्ययन कर लिया था।
वहीं 21 साल की उम्र में उन्होंने गृहस्त जीवन का त्याग कर दिया। इसके बाद वे आत्मिक और धार्मिक सत्य की तलाश में निकल गए थे। साल 1845 से लेकर 1869 तक उनका यह सफर जारी रहा। अपने इन 25 साल के वैराग्य जीवन में उन्होंने श्री विराजानंद डन्डेसा के शरण में विभिन्न प्रकार के योग गुढ़ों का भी अभ्यास किया था। वहीं 7 अप्रैल 1875 को उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की। स्वामी दयानंद सरस्वती मूर्ति पूजन के सख्त खिलाफ थे साथ ही वो धर्म की बनी-बनाई किसी भी परम्परा और मान्यताओं को नहीं मानते थे।
महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कई सारी पुस्तकें भी लिखी थीं इनमें प्रमुख रूप से आर्याभिविनय, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, ऋग्वेद भाष्य, यजुर्वेद भाष्य, सत्यार्थ प्रकाश, वेदांगप्रकाश, संस्कारविधि, संस्कृतवाक्यप्रबोध, पञ्चमहायज्ञविधि, अष्टाध्यायीभाष्य, गोकरूणानिधि, भ्रांतिनिवारण, व्यवहारभानु शामिल हैं।
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Created On :   5 March 2024 12:51 PM IST