गुरु प्रदोष व्रत: इस विधि से करेंगे पूजा तो कुंडली में बृहस्पति ग्रह होगा मजबूत
डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में बड़ा महत्व रखता है। इस व्रत में भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन को विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यों को करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस शुभ दिन पर भक्त उपवास रखते हैं, ऐसा माना जाता है कि जो लोग व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें समृद्धि, सुख और अन्य सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती हैं।
इस बार आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथी यानी 15 जून 2023 को आषाढ़ मास का पहला प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति ग्रह यानी गुरू ग्रह कमजोर होता है, उनके लिए ये प्रदोष व्रत विशेष रुप से फलदायी साबित होता है।
शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि आरंभ: 15 जून गुरुवार सुबह 08 बजकर 32 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समापन: 16 जून शुक्रवार सुबह 08 बजकर 39 मिनट तक
पूजा का मुहूर्त: 15 जून शाम 07 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक
प्रदोष व्रत की विधि
प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
नित्यकर्मों से निवृ्त होकर भोले नाथ का स्मरण करें।
व्रत में आहार नहीं लिया जाता है।
पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से पहले स्नानादि कर श्वेत वस्त्र धारण करें।
पूजन स्थल को शुद्ध करने के बाद गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार करें।
इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनांए
उत्तर- पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान शिव का पूजन करें।
पूजन में भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम शिवाय का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।
इस बात का ध्यान रखें कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में जरुर करें।
पूजा के समय व्रत कथा पढ़ना बिल्कुल भी न भूलें।
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Created On :   14 Jun 2023 5:26 PM IST