Dattatreya Jayanti 2024: शनिवार को मनाई जाएगी दत्तात्रेय जयंती, इस विधि से करें त्रिदेव की पूजा, जानें मुहूर्त

शनिवार को मनाई जाएगी दत्तात्रेय जयंती, इस विधि से करें त्रिदेव की पूजा, जानें मुहूर्त
  • भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का स्वरूप हैं
  • उन्हें परब्रह्ममूर्ति सद्गुरु और श्रीगुरुदेवदत्त भी कहा जाता है
  • दत्तात्रेय जयंती 13 दिसम्बर, शनिवार को मनाई जाएगी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में त्रिदेवों की पूजा का अत्यधिक महत्व बताया गया है और भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का स्वरूप हैं। मार्गशीर्ष माह में पूर्णिमा के दिन दत्तात्रेय जयंती (Dattatreya Jayanti) मनाई जाती है, जो कि इस वर्ष 13 दिसम्बर 2024, शनिवार को है। शास्त्रों के अनुसार, ईश्वर और गुरु दोनों के रूप में समाहित होने के चलते उन्हें "परब्रह्ममूर्ति सद्गुरु"और "श्रीगुरुदेवदत्त"भी कहा जाता है।

ऐसा माना जाता है कि, भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी। इन्हीं के नाम पर दत्त संप्रदाय का उदय हुआ। भगवान दत्तात्रेय, अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। ऐसा माना जाता है कि, भगवान दत्तात्रेय की पूजा से साधक को तीनों देवों की पूजा के समान फल मिलता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस दिन सच्चे मन से पूजा-पाठ की जाए, तो व्यक्ति को सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि...

स्वरूप

पुराणों के अनुसार इनके तीन मुख, छह हाथ वाला त्रिदेवमयस्वरूप है। चित्र में इनके पीछे एक गाय तथा इनके आगे चार कुत्ते दिखाई देते हैं। औदुंबर वृक्ष के समीप इनका निवास बताया गया है। विभिन्न मठ, आश्रम और मंदिरों में इनके इसी प्रकार के चित्र का दर्शन होता है।

शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 14 दिसंबर 2024, शनिवार की शाम 4 बजकर 58 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 15 दिसंबर 2024, रविवार की दोपहर 2 बजकर 31 मिनट तक

पूजा की सामग्री

भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा, गंगाजल, कलश, चौकी, लाल कपड़ा दीपक, धूप, नैवेद्य, फूल, रोली, अक्षत यानि कि चावल और पंचामृत

पूजा विधि

- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

- पूजा से पहले एक चौकी पर गंगाजल छिड़कर उस पर साफ आसन बिछाएं।

- भगवान दत्तात्रेय की तस्वीर स्थापित करें।

- इसके बाद भगवान दत्तात्रेय को फूल, माला आदि अर्पित करें।

- भगवान की धूप व दीप से विधिवत पूजा करें।

- अंत में आरती गाएं और फिर प्रसाद वितरण करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   13 Dec 2024 5:41 PM IST

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