समुदाय ने की आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की मांग
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। इरुलर प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑर्गेनाइजेशन ने 2011 में चार इरुलर महिलाओं के साथ बलात्कार के आरोपी सभी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी और तमिलनाडु सरकार से पीड़ितों को आजीविका सहायता प्रदान करने की मांग की है। समुदाय ने यह मांग हाल ही में एक पुलिसकर्मी, एक निरीक्षक को गिरफ्तार किए जाने के बाद की है। पुलिस ने नवंबर 2011 में चोरी के आरोप में थेनपेनई नदी के किनारे रहने वाले इरुलर के नौ लोगों को हिरासत में लिया था।
उनके साथ थाने में मारपीट की गई और बाद में इंस्पेक्टर के नेतृत्व में पुलिसकर्मी इनकी चार महिलाओं को अपने साथ जबरन जंगल में ले गए और उनके साथ बलात्कार किया। पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने के अभियान में सबसे आगे चल रही आदिवासी कार्यकर्ता कल्याणी ने मीडियाकर्मियों को बताया कि चारों में से एक तीन महीने की गर्भवती थी और बाद में उसका गर्भपात हो गया।
कार्यकर्ता ने यह भी कहा कि महिलाएं अब भी इतनी सहमी हुई हैं कि वे समाज और पुलिस के डर से अपने घरों से बाहर निकलने से भी डरती हैं। महिलाओं को सामाजिक कार्यकर्ता पी.वी. रमेश ने अपने घर में शरण दी और बाद में विल्लुपुरम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई और उसके बाद मामला सामने आया। हालांकि मामला बहुत धीमी गति से आगे बढ़ा। इस बीच एक अन्य इरुलर संगठन पझनगडी मक्कल विदुथलाई काची (पीएमवीके) ने आरोप लगाया कि बलात्कार का मामला झूठा था और पुलिसकर्मी कुछ पूछताछ के लिए इरुलार की झोपड़ियों में गए थे।
कल्याणी ने दावा किया कि पीएमवीके के लोगों ने जिंजी में पुलिस के सामने जीवित बचे लोगों का अपहरण करने की भी कोशिश की। उल्टे रमेश और कल्याणी दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया। उन्हें कोर्ट में केस लड़ना पड़ा और 11 साल बाद मद्रास हाई कोर्ट ने इस साल अक्टूबर में उनके खिलाफ केस रद्द कर दिया। रमेश और कल्याणी के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने तिरुकोविलुर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर को बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार करने का आदेश दिया।
कल्याणी ने कहा कि इस सप्ताह से विल्लुपुरम एससी/एसटी विशेष अदालत द्वारा बलात्कार के मामले की सुनवाई की जाएगी और उम्मीद है कि पीड़ितों को न्याय मिलेगा।
सोर्सः आईएएनएस
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Created On :   23 Nov 2022 3:00 PM IST