एमपीसीए पर टिकटों की कालाबजारी का आरोप, कांग्रेस नेता को हाईकोर्ट की फटकार, पच्चीस हजार रुपये का लगाया जुर्माना
- महज 15 मिनट में सभी सस्ती कैटेगरी के टिकट बिक गए
डिजिटल डेस्क, इंदौर। भारत और न्यूजीलैंड के बीच तीन मैचों की वनडे सीरीज का दूसरा मुकाबला शनिवार को रायपुर के मैदान पर खेला जाएगा। भारतीय टीम इस सीरीज का पहला मुकाबला 12 रनों से जीतकर सीरीज में 1-0 की बढ़त बना चुकी है। इस सीरीज का आखिरी मुकाबला 24 जनवरी को इंदौर के होलकर क्रिकेट स्टेडियम में खेला जाएगा। लेकिन बीते दिनों कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने बीसीसीआई और एमपी बोर्ड क्रिकेट संघ के खिलाफ टिकटों की कालाबजारी को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। अब हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया है।
याचिकाकर्ता ने लगाया टिकटों की कालाबजारी का आरोप
इंदौर में होने वाले तीसरे वनडे मैच के लिए टिकटों की ऑनलाइन बिक्री पिछले हफ्ते 12 जनवरी को सुबह 6 बजे शुरु हुई थी। करीब 16000 टिकटों को ऑनलाइन ब्रिकी के लिए रखा गया था। लेकिन महज 15 मिनट में सभी सस्ती कैटेगरी के टिकट बिक गए। इतने कम समय में ऑनलाइन टिकटों की बिक्री को देखकर क्रांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव ने जनहित याचिका दायर करते हुए एमपीसीए पर आरोप लगाया कि टिकटों की ऑनलाइन बिक्री में गड़बड़ी और इनकी कालाबाजारी की गई है। इसकी वजह से सरकारी खजाने को कर राजस्व का भी नुकसान हुआ है।
एमपीसीए ने बताया आरोपों को बेबुनियाद
कांग्रेस नेता द्वारा दायर की गई याचिका के बाद एमपीसीए ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया और उच्च न्यायालय में अपनी दलील पेश की। एमपीसीए के वकील अजय बागड़िया ने उच्च न्यायालय में बताया कि यह याचिका केवल एक समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट के देखकर की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि टिकटों की बिक्री पूरी तरह से साफ है। ऑनलाइनल माध्यम से कुल 16000 टिकटों को बिक्री के लिए रखा गया था। जबकि शेष सात हजार टिकट कॉप्लीमेंट्री और चार हजार टिकट बीसीसीआई और एमपीसीए के सदस्यों को दी जाएगी।
हाईकोर्ट ने लगाई याचिकाकर्ता को फटकार
हाईकोर्ट की इंदौर पीठ में हुई इस याचिका को न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति प्रकाशचंद्र गुप्ता ने दोनों पक्षों की बातों को सुनकर फैसला एमपीसीए के हित में दिया और याचिकाकर्ता राकेश सिंह यादव पर कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए 25000 रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि, "याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रामाणिकता की पुष्टि किए बगैर जनहित याचिका दायर की है। उसने अपने आरोपों के समर्थन में कोई दस्तावेज भी पेश नहीं किए हैं। इस याचिका को केवल लोकप्रियता हासिल करने के उद्देश्य से दायर किया गया है।"
Created On :   20 Jan 2023 4:51 PM IST