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शोक: पंढरपुर से दर्शन कर पुलगांव लौट रहे बुजुर्ग की चलती ट्रेन में बिगड़ी तबीयत, मृत्यु
- पति-पत्नी यात्रा कर पुणे से आ रहे थे
- पत्नी ने जगाया तो नहीं उठे
- डाक्टरों ने मृत घोषित किया
डिजिटल डेस्क, पुलगांव (वर्धा) । पुलगांव परिसर के लोनी आगरगांव निवासी 58 वर्षीय बाला बालासाहब उर्फ बालू पोलार की पंढरपुर से दर्शन कर पुणे से पुलगांव आते समय चलती ट्रेन में मौत हो गई। घटना 19 अप्रैल की सुबह की बताई जा रही है। रेलवे सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बालासाहब पोलार पत्नी के साथ पंढरपुर दर्शन के लिए गए थे। पंढरपुर से वापसी में पुणे गये। वहां से पुणे नागपुर ट्रेन 12135 डिब्बा क्रमांक या 7 सीट क्रमांक 33 पर बैठे थे। वापसी में मूर्तिजापुर में उनकी पत्नी ने उनको जगाया। मगर बालासाहब पोलार ने शरीर में कोई हलचल नहीं हुई तो बडनेरा आने पर बडनेरा रेलवे पुलिस तथा आरपीएफ पुलिस को सूचना दी गई।
पुलगांव में एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई थी। इधर बडनेरा से ट्रेन निकलते ही उनकी पत्नी ने लोनी आगरगांव परिजनों को सूचित किया था। पुलगांव स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही बालासाहब पोलर को स्ट्रेचर पर लेकर उतारा गया। जांच करने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलगांव के ग्रामीण अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंपा गया।
एक ही रात बाघ ने किया चार बछड़ों का शिकार : तहसील के रोहणा परिसर स्थित मलकापुर खेत परिसर में गुरुवार रात खेत में बंधे चार बछड़ों का बाघ ने शिकार किया। यह चारों बछड़ें गीर प्रजाति के होने से गौपालक का दो लाख का नुकसान हुआ। इस घटना से परिसर में दहशत का माहौल है।
सालदरा निवासी गोपालक सुरेंद्र चौकोने एक माह से मलकापुर परिसर के प्रह्लाद सहारे के खेत में अपने जानवरों को रखते थे। गांव में पानी व चारे की किल्लत होने से वहां फिलहाल के लिए व्यवस्था की थी। रात में जानवरों के पास देवराव मांढरे रखवाली करते थे। गुरुवार को उनकी हालत ठीक नहीं होने से वे खेत में नहीं जा सके। इसी रात बाघ ने चार बछड़ों का शिकार किया। यह बछड़े तार के कम्पाउंड के अंदर बंधे थे। बाघ ने छलांग लगाकर बछड़ों का शिकार किया। शुक्रवार सुबह जब खेत में गए तो मामला प्रकाश में आया।
परिसर में जंगली जानवरों के आंतक से नागरिकों में दहशत है। अब एक साथ चार बछड़ों का शिकार करने से ग्रामीणों में दहशत है। चौकोने ने वन विभाग से नुकसान मुआवजे की मांग की है। घटना की जानकारी मिलते ही वनविभाग के क्षेत्र सहायक वी. आर आड़े, बीटरक्षक विलास भेंडे, वनमजदूर देवराव कुरवाड़े, भारत नांदेकर ने भेंट देकर पंचनामा किया।
Created On :   20 April 2024 6:29 PM IST