हॉट सीट: मोदी की कर्मभूमि वडोदरा में जीत का नया रिकॉर्ड बनाने की जद्दोजहद में बीजेपी और कांग्रेस
- यहां से मैदान में हैं भाजपा के सबसे युवा उम्मीदवार
- पहला लोकसभा चुनाव लड़ने मोदी के लिए खोजी गई थी यह सबसे सेफ सीट
- रामायण की ‘सीता’ भी यहीं से बनी थीं सांसद
डिजिटल डेस्क, वडोदरा। साल 2014 में जब भाजपा की तरफ से नरेंद्र मोदी की पीएम पद के लिए दावेदारी तय हो गई, तो उनके लिए ऐसे लोकसभा सीट की तलाश शुरू हुई, जहां से वे भारी मतों से आसानी से चुनाव जीत सकें। वडोदरा ही वह लोकसभा सीट थी, जहां से मोदी पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरे थे। बाद में देश के सर्वाधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश को साधने के लिए वे वडोदरा के साथ वाराणसी से भी लोकसभा चुनाव में उतरे। वे दोनों सीटों से चुनाव जीते और भविष्य की राजनीति के मद्देनजर वडोदरा सीट छोड़ दी। इस बार गुजरात के सबसे युवा उम्मीदवार हेमांग जोशी यहां से भाजपा के उम्मीदवार हैं।
वडोदरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कर्मभूमि मानी जाती है। राजनीति में सक्रिय होने से पहले मोदी ने बतौर आरएसएस प्रचारक यहां पर सालों तक काम किया। भारी हंगामे के बाद वडोदरा की मौजूदा सांसद रंजन भट्ट का टिकट कटने से 33 वर्षीय युवा जोशी को उम्मीदवारी मिली है। उनका मुकाबला कांग्रेस के पूर्व विधायक जसपाल सिंह पढियार से है। जमीनी हकीकत यह है कि यहां हर खास और आम भाजपा की जीत तय मान रहा है। पर पढियार को चमत्कार की उम्मीद है।
10 लाख की मार्जिन हासिल करने का लक्ष्य
वडोदरा से भाजपा उम्मीदवार जोशी ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहते हैं कि मैं चुनाव नहीं लड़ रहा, हम तो मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए जनता का आशीर्वाद ले रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि हमारे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटील ने यहां 10 लाख वोट से जीत हासिल करने का लक्ष्य दिया है। फिलहाल हम उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम कर रहे हैं। वडोदरा के वरिष्ठ पत्रकार विश्वजीत पारेख कहते हैं ‘यहां से 10 लाख की जीत तो मोदी को भी नहीं मिली थी, जबकि उस बार करीब 71 प्रतिशत मतदान हुआ था। भाजपा उम्मीदवार जोशी को जीत का यह लक्ष्य हासिल करने के लिए 75 प्रतिशत मतदान कराना होगा। 2019 में भाजपा उम्मीदवार भट्ट ने यहां से 5 लाख 89 हजार के अंतर से चुनाव जीता था। वरिष्ठ पत्रकार मयंक व्यास की मानें तो वडोदरा में भाजपा गुटबाजी की शिकार है और इस चुनाव में क्षत्रिय फैक्टर भी है। इसलिए यहां से भाजपा के जीत का अंतर घट भी सकता है।
कांग्रेस उम्मीदवार को चमत्कार की आस
इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार पढियार कहते हैं कि पिछले 35 सालों से पंचायत से लेकर संसद तक भाजपा के लोग ही हैं, इसके बावजूद वडोदरा के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। इस बार यहां चमत्कार होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों यहां रोड शो किया, जबकि कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता प्रचार करने के लिए नहीं आया। कांग्रेस उम्मीदवार पढियार क्षत्रिय समाज से हैं। भाजपा नेता पुरुषोत्तम रूपाला के आपत्तिजनक बयान से नाराज गुजरात का क्षत्रिय समाज लगातार आंदोलन कर रहा है। वडोदरा के वरिष्ठ टीवी पत्रकार वशिष्ठ शुक्ला कहते हैं कि कांग्रेस चुनाव लड़ ही नहीं पा रही है। चुनाव को लेकर उसके पास कोई प्रबंधन नहीं है। पिछली बार यहां से कांग्रेस उम्मीदवार रहे प्रशांत पटेल अब भाजपा के पदाधिकारी हैं। कांग्रेस के नेता कब भाजपाई बन जाएंगे कोई भरोसा नहीं। इसलिए जनता उन पर विश्वास नहीं कर पाती।
दीपिका चिखलिया ने खोला था भाजपा का खाता
एक समय वह भी था जब वडोदरा के गायकवाड राज परिवार के सदस्य कांग्रेस के टिकट पर यहां से सांसद चुने जाते थे। सुप्रसिद्ध धारावाहिक ‘रामायण’ में सीता का किरदार निभा कर लोकप्रिय हुईं दीपिका चिखलिया ने 1991 में पहली बार इस सीट से भाजपा का खाता खोला था। उसके बाद भाजपा वडोदरा सीट से सात बार चुनाव जीत चुकी है।
आम जनता की नजर में यहां का चुनाव
चाइनीज की रेहड़ी लगाने वाले अयूब खान चुनाव का नाम लेते ही बोल पड़ते हैं, ‘हमारे यहां तो बस भाजपा ही है।’ बदलाव क्यों नहीं चाहते? इस सवाल पर पास में खड़े इकबाल कहते हैं, ‘ये लोग अच्छा काम कर रहे हैं। क्राइम कम कर दिया है फिर क्या जरूरत है बदलने की।’ साथ ही वे मंझे हुए राजनेता की तरह सलाह देने लगते हैं.. ‘कांग्रेस को एक ही शख्स बचा सकता है, प्रियंका गांधी। उनमें अपनी दादी के गुण नजर आते हैं। उन्हें अध्यक्ष बनना चाहिए।’ ऑटो चालक खेतवाल बरोड़ा कहते हैं, ‘यहां तो भाजपा की ही हवा है। उबर टैक्सी चालक नरेंद्रनंद चुनाव के सवाल पर कहते हैं, ‘मुझे नहीं पता कि यहां से भाजपा का कौन उम्मीदवार है, पर बीजेपी किसी एेरे-गैरे को भी खड़ा कर दे तो वह जीत जाएगा। लोग ईवीएम में बस कमल का निशान खोजते हैं।’
Created On :   5 May 2024 7:52 PM IST