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Shahdol News: आदिवासी बहुल संभाग मुख्यालय शहडोल में नहीं एक भी ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षा केंद्र
- परीक्षा से बड़ी केंद्र तक पहुंचने की चुनौती
- परीक्षा में शामिल होने के लिए दूसरे शहर तक जाने में सबसे बड़ी चुनौती यात्रा की है।
- ऑनलाइन परीक्षा केंद्र संचालन के लिए बहुतायत में कम्प्यूटर की जरूरत पड़ती है।
Shahdol News: आदिवासी बहुल शहडोल संभाग के परीक्षार्थियों के लिए किसी प्रतियोगी परीक्षा को देने से बड़ी चुनौती उसमें शामिल होने की है। संभाग मुख्यालय शहडोल में प्रतियोगी परीक्षा के लिए एक भी ऑनलाइन केंद्र नहीं है। इसका सबसे बड़ा नुकसान उन परीक्षार्थियों को उठाना पड़ता है जो अलग-अलग समय पर परीक्षा में शामिल होते हैं।
ऐसे परीक्षार्थियों के लिए किसी दूसरे शहर तक पहुंचने के साथ ही वहां रूकने और समय पर परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। परेशान परीक्षार्थियों का कहना है कि शहडोल में जनप्रतिनिधियों से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों ने परीक्षा केंद्र संचालन की दिशा में ध्यान नहीं दिया। इससे छात्रों को आर्थिक रूप से भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
छोटे शहरों में केंद्र पर शहडोल में नहीं- फरवरी माह में आंगनबाड़ी सुपरवाइजर और कार्यकर्ता की परीक्षा होनी है। इन परीक्षाओं के लिए मध्यप्रदेश में बालाघाट, खंडवा, सतना, भोपाल, नीमच, सीधी, ग्वालियर, रतलाम, उज्जैन, इंदौर, रीवा, जबलपुर व सागर में परीक्षा केंद्र हैं, लेकिन शहडोल में नहीं है।
ऐसे समझें परेशानी
परीक्षा में शामिल होने के लिए दूसरे शहर तक जाने में सबसे बड़ी चुनौती यात्रा की है। अमूमन ऐसे समय में ट्रेन में सीट नहीं मिलती। कई बार ट्रेनें रद्द भी हो जाती है।
ट्रेन नहीं मिलने के बाद परीक्षार्थियों को बस व निजी वाहन किराए पर लेकर केंद्र तक पहुंचना पड़ता है। इसमें समीपी शहर भी जाना हुआ तो एक परीक्षा में शामिल होने में ही पांच से दस हजार रूपए तक खर्च हो जाते हैं।
परीक्षा का समय सुबह हुआ तो एक दिन पहले पहुंचना पड़ता है। ऐसे में शहर में होटल में रूकने में भी आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। परीक्षा केंद्र शहर से दूर हुआ तो ऑटो व दूसरे वाहन तीन से चार घंटे के लिए बुक कर जाना पड़ता है। इसमें भी पैसे की बर्बादी होती है।
महिला परीक्षार्थियों के लिए साथ में परिवार के किसी सदस्य को भी जाना पड़ता है। इसमें अतिरिक्त खर्च बढऩे के साथ ही पहले ही यात्रा की प्लानिंग करनी होती है।
नर्सिंग परीक्षा हुई तो सेवाओं पर असर
पूर्व में नर्सिंग की परीक्षा में परीक्षार्थियों को शामिल होने के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा तो शहर के प्रमुख चिकित्सा केंद्र मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल में सेवाओं पर असर पडऩे की नौबत आ गई। ऐसी परीक्षाओं में ज्यादातर नर्सें शामिल होती हैं और अचानक बड़ी संख्या में अवकाश लेकर दूसरे शहर परीक्षा में शामिल होने के लिए जाना पड़ा तो काम पर असर पडऩा लाजिमी है।
इंजीनियरिंग कॉलेज, विश्वविद्यालय के बाद भी केंद्र नहीं
ऑनलाइन परीक्षा केंद्र संचालन के लिए बहुतायत में कम्प्यूटर की जरूरत पड़ती है। शहडोल में इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ ही विश्वविद्यालय है। इसके अलावा कई बड़े निजी कम्प्यूटर कॉलेज हैं। जानकार बताते हैं कि यहां ऑनलाइन परीक्षा केंद्र का संचालन किया जा सकता है।
परीक्षार्थियों की पीड़ा
शहडोल संभाग में सेंट्रल यूनिवर्सिटी, स्टेट यूनिवर्सिटी, आईटीआई, पॉलीटेक्निक कॉलेज के बाद भी एक ऑनलाइन परीक्षा केंद्र नहीं है। परीक्षार्थियों को सबसे ज्यादा परेशानी दूसरे शहर तक पहुंचने में होती है। कभी ट्रेन नहीं, टे्रन हुई तो सीट नहीं। हमे नेट की परीक्षा देने के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
रवि त्रिपाठी परीक्षार्थी
दिसंबर माह में परीक्षा देने के लिए जबलपुर जाना पड़ा। ट्रेन छूट गई तो बस से जाने में पैसे ज्यादा लगे। एक दिन पहले पहुंचने के बाद होटल में भी पैसे खर्च हुए और भेड़ाघाट के पास परीक्षा केंद्र था तो वहां तक पहुंचने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ा। जरूरी है कि शहडोल में ऑनलाइन परीक्षा केंद्र का संचालन हो।
संदीप नापित परीक्षार्थी
शहडोल में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन परीक्षा केंद्र की सुविधा जरूरी है। छात्रों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हमारी पूरी कोशिश होगी कि शहडोल में परीक्षार्थियों को केंद्र की सुविधा मिलनी चाहिए।
मनीषा सिंह विधायक जयसिंहनगर
शहडोल संभाग से छात्रों को परीक्षा में शामिल होने के लिए दूसरे शहर जाना पड़ता है तो निश्चित ही यह बड़ी समस्या है। शहडोल में ऑनलाइन परीक्षा केंद्र की सुविधा होनी ही चाहिए। इस बारे में उपर बात करेंगे, कोशिश होगी कि शहडोल में यह सुविधा मिलनी ही चाहिए।
अमिता चपरा भाजपा जिलाध्यक्ष शहडोल
Created On :   25 Jan 2025 4:40 PM IST