Shahdol News: जिला चिकित्सालय के पीएनसी एवं प्रसूति वार्ड में जमीन पर लेट करना पड़ रहा उपचार

जिला चिकित्सालय के पीएनसी एवं प्रसूति वार्ड में जमीन पर लेट करना पड़ रहा उपचार
  • प्रसूता महिलाओं को बेड तक नसीब नहीं
  • जिला चिकित्सालय में सीजर व नार्मल को मिलाकर महीने में 300-350 प्रसव कराए जाते हैं।

Shahdol News: जिला चिकित्सालय के पीएनसी एचडीयू एवं प्रसूति वार्ड में सभी महिलाओं को बेड नसीब नहीं हो पा रहे हैं, जिसके चलते उन्हें जमीन पर लेटकर उपचार कराना पड़ रहा है। पीएनसी वार्ड में उन महिलाओं को भर्ती किया जाता है, जिन्हें प्रसव हो चुका होता है।

जिन महिलाओं का सीजर होता है उन्हें नवजात बच्चों के साथ 5 से 7 दिनों तक एवं सामान्य प्रसव की महिलाओं को 3 से 4 दिन तक रहना पड़ता है। इसी प्रकार प्रसूति वार्ड में प्रसव के पूर्व से भर्ती होना पड़ता है। लेकिन सभी महिलाओं को बेड नहीं मिल पाते, ऐसे में उन्हें जमीन पर गद्दा डालकर लिटाना पड़ रहा है।

जिला चिकित्सालय में मेडिकल कॉलेज का भी भार

जिला चिकित्सालय में प्रसूता महिलाओं की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज में उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जिला चिकित्सालय में सीजर व नार्मल को मिलाकर महीने में 300-350 प्रसव कराए जाते हैं। वहीं मेडिकल कॉलेज में इसका आंकड़ा आधा भी नहीं है।

संसाधन से पूर्ण होने के बाद भी मेडिकल कॉलेज में वांछित सुविधाएं नहीं मिलने के कारण जिला चिकित्सालय में बोझ बढ़ रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि अधिकतर चिकित्सक मेडिकल की बजाय निजी चिकित्सालयों में जाकर सीजर को अधिक तबज्जो देते हैं, जिसके कारण भी लोग जिला चिकित्सालय जाना पसंद करते हैं।

ड्यूटी नर्स की संख्या भी कम

पीएनसी एचडीयू वार्ड में मरीजों की संख्या अधिक रहने के बाद भी कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है। बताया जाता है कि सुबह की शिफ्ट में केवल एक स्टॉफ से काम चलाया जाता है। इस तरह की व्यवस्था के लिए जिला चिकित्सालय में सहायक प्रबंधक और 2 मेटरन की तैनाती की गई है, लेकिन उनके द्वारा लापरवाही बरती जा रही है।

वार्ड में बेड की संख्या बढ़ाने के बाद भी अधिक संख्या में मरीजों के आ जाने से जमीन पर बेड लगाए जाते हैं। प्रयास रहता है कि सभी का प्रापर इलाज हो सके।

डॉॅ. राजेश मिश्रा, सिविल सर्जन

Created On :   20 Jan 2025 3:52 PM IST

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