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शहडोल: परीक्षा से एक दिन पहले बनी असाक्षरों की सूची, उत्तर पुस्तिका लिखने में भी मदद
- 2022 से प्रारंभ अभियान, 5 साल में 1 लाख 88 हजार को साक्षर बनाने का दावा
- साल भर बंद रहे ज्यादातर सामाजिक चेतना केंद्र
- नवभारत साक्षरता कार्यक्रम यानी कामचलाऊ काम
डिजिटल डेस्क,शहडोल। 15 वर्ष से उपर के प्रौढ़ असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए नवभारत साक्षरता कार्यक्रम में 17 मार्च को जिलेभर में परीक्षाएं आयोजित हुई तो इस परीक्षा में शामिल होने वाले ज्यादातर असाक्षरों की सूची एक दिन पहले ही तैयार की गई।
इस काम के लिए शिक्षा विभाग के कुछ संकुल में तो सभी शिक्षकों की ड्यूटी लगाकर बकायदा दस-दस असाक्षर ढूंढक़र नाम चिन्हित करने कहा गया। अगले दिन उन्हे परीक्षा में बैठाकर उत्तर पुस्तिका लिखने में भी मदद की गई।
असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए कामचलाऊ कार्यक्रम का दूसरा पहलू यह है कि वर्ष भर चलने वाले ज्यादातर सामाजिक चेतना केंद्र बंद रहे। असाक्षरों को पहले से चिन्हित कर एक घंटे की कक्षा लगाकर पढ़ाने का काम भी नहीं हुआ।
इतना ही नहीं जिले में 1 लाख 88 हजार 642 असाक्षर चिन्हित किए गए हैं तो गणना का आधार भी 13 साल पहले यानी 2011 की जनगणना को बनाया गया। इसका नुकसान यह हो रहा है कि फील्ड में जाने पर इनमें से अधिकांश असाक्षर मिल ही नहीं रहे।
2 साल में चार परीक्षाएं, 45 हजार प्रौढ़ को साक्षर बनाने का दावा
असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए 2022 से अब तक दो साल में चार बार परीक्षाएं हुई, इसमें 45 हजार से ज्यादा प्रौढ़ को साक्षर बनाने का दावा किया जा रहा है।
अगस्त 2022 में पढऩा-लिखना अभियान में 5555 असाक्षर परीक्षा में बैठे तो 5220 के उतीर्ण होने का दावा।
19 मार्च 2023 को आयोजित परीक्षा में 12 हजार 220 परीक्षा में बैठे तो 11 हजार 972 के पास होने की बात।
24 सितंबर 2023 को आयोजित परीक्षा में 12 हजार 4 सौ के परीक्षा बैठने पर 12 हजार 61 के पास होने का दावा।
17 मार्च 2024 को 25 हजार 480 के लक्ष्य में 26 हजार के परीक्षा में बैठने की बात, इसमें 20 हजार से ज्यादा के साक्षर होने का दावा।
जिले में 12 सौ सामाजिक चेतना केंद्र, बीआरसी के जिम्मे मॉनीटरिंग
नवभारत साक्षरता कार्यक्रम में असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए जिले भर में 12 सौ सामाजिक चेतना केंद्र के संचालन का दावा किया जा रहा है। इन केंद्रों की मॉनीटरिंग डीपीसी के अधीन काम करने वाले बीआरसी को करनी थी।
अभियान के दौरान यह भी सुनिश्चित करना थी कि प्रौढ़ असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए शाम को मिडिल व प्राइमरी स्कूल में लगने वाली एक घंटे की कक्षाएं नियमित लग रही हैं या नहीं। कक्षाओं के संचालन के लिए नि:शुल्क वालेंटियर नियुक्त कर उनकी मदद भी लेनी थी।
जो असाक्षरों को साक्षर बनाने का काम करते और परीक्षा में शामिल करवाकर साक्षर बनाते।
2022 में प्रारंभ हुआ कार्यक्रम, 5 साल चलेगा
असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए नवभारत साक्षरता कार्यक्रम 2022 में प्रारंभ हुआ। यह अभियान 2027 तक चलेगा। असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए सामाजिक संगठनों की मदद भी ली जा सकती है जो स्वयंसेवी भावना से काम कर सकते हैं।
Created On :   27 March 2024 2:00 PM IST