प्रदूषण मानकों की खुलेआम अनदेखी, जिम्मेदारों ने मूंदी आंख, बरगवां के बैगा आदिवासी व नप अध्यक्ष ने कहा- ओपीएम सोन नदी में छोड़ रहा जहरीला पानी, तड़प रहीं मछलियां

भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट : पीसीबी भोपाल के अधिकारी के रोक लगाने के निर्देश पर 48 घंटे बाद भी अमल नहीं

शहडोल। सोन नदी के तट पर बसे गांव बरगवां के आदिवासी राजू बैगा बेटे छोटू के साथ गुरूवार दोपहर सोन नदी पर मछली मारने पहुंचे तो पाया कि ज्यादातर मछली मर रहीं हैं, कुछ की मौत तक हो गई है। उन्होंने बताया कि ओपीएम (ओरियंट पेपर मिल कास्टिक सोडा यूनिट) द्वारा सोन नदी पर पानी छोड़े जाने से मछलियां तड़प रहीं हैं तो जाहिर है पानी नुकसानदायक होगा। खास बात यह है कि ओपीएम प्रबंधन द्वारा सोन नदी में जिस स्थान पर गुरूवार को पानी छोड़ा जा रहा था, उसे पूरी तरह से बंद करने के लिए पीसीबी (प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) भोपाल के वैज्ञानिक प्रेम कुमार श्रीवास्तव ने ६ फरवरी को ही निर्देश दिए थे। यह अलग बात है कि ओपीएम प्रबंधन ने पीसीबी के निर्देश पर ४८ घंटे बाद भी अमल नहीं किया। पीसीबी हिदायत के बाद भी सोन नदी पर मटमैला, गंदा पानी छोड़ा जा रहा है।

गंगा जैसी पवित्र सोन नदी को प्रदूषित कर रहा ओपीएम प्रबंधन, कार्रवाई नहीं हुई तो करेंगे आंदोलन: अध्यक्ष नगर परिषद

बरगवां नगर परिषद अध्यक्ष गीता गुप्ता ने दैनिक भास्कर को बताया कि ओपीएम प्रबंधन की मनमानी से जनता परेशान हैं और लगातार शिकायत दर्ज करवा रहे हैं। प्रबंधन द्वारा खुलेआम उस सोन नदी पर गंदा पानी छोड़ा जा रहा है, जो अंचल के लिए गंगा जैसी पवित्र है। पानी के अलावा यहां हवा भी प्रदूषित है। राख के कण के कारण लोग श्वांस व हार्ट की दूसरी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। प्रबंधन की मनमानी पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन करेंगे।

पीसीबी के आरओ का रवैया ऐसा रहा जैसे वे प्रबंधन के नुमाइंदे हों

अनूपपुर विधायक बिसाहू लाल सिंह के प्रतिनिधि अभिषेक गुप्ता ने आरोप लगाया कि ६ फरवरी को पीसीबी की टीम बरगवां व सोन नदी सहित अन्य स्थानों पर जांच के लिए पहुंची तो पीसीबी के शहडोल आरओ संजीव मेहरा का व्यवहार ऐसा रहा जैसे वे कंपनी के नुमाइंदे हों। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदूषण मानकों की अनदेखी पर कई बार शहडोल कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई गई पर समय रहते ठोस कार्रवाई तो दूर निरीक्षण तक नहीं हुआ। थककर विधायक के माध्यम से भोपाल शिकायत दर्ज करवाई तो भोपाल से टीम जांच को पहुंची।

बरगवां-बकहो व सोन नदी तट के गांव में प्रदूषण से जीवन पर असर

पानी: सोन नदी के साथ ही बरगवां, बकहो के ग्राउंड वाटर का स्वाद ऐसा हो गया है जैसे पानी में नमक मिला हो। ऐसा इसलिए कि लगातार छोटे तालाब बनाकर प्रदूषित पानी स्टोर किया गया और कई वर्षों तक चली मनमानी के बाद अब उसका असर भू-जल पर दिख रहा है।

हवा: लोग श्वांस लेते हैं तो ऐसा लगता है कि गले में कुछ अटक रहा है। हवा में राख की मात्रा है। इससे जिंदगी बर्बाद हो रही है, लोग पूरी तरह से सांस भी नहीं ले पा रहे हैं। हृदय संबंधी बीमारी से पीडि़तों की संख्या बढ़ रही है। हार्टअटैक से मौतों में भी इजाफा हुआ है।

मिट्टी: बरगवां व आसपास चूने का पहाड़ है। यह पहाड़ नहीं बल्कि कंपनी से निकलने वाली कचरा स्लज है। नियमानुसार इसका खुले में भंडारण नहीं होना चाहिए पर मनमानी का सिलसिला कई वर्षों तक चला और अब नुकसान यह है कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट हो गई। किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं।

ध्वनि: ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों की नींद रात में खुल जाती है। ओपीएम यूनिट में बायलर प्लांट भी चल रहा है। इस प्लांट से स्टीम रिलीज करने के दौरान इतनी तेज आवाज निकलती है कि लोग बेचैन हो जाते हैं। कंपनी द्वारा स्टीम दिन के बजाए ज्यादातर रात में रिलीज करने और ध्वनि प्रदूषण से होने से लोग रात में चैन से सो भी नहीं पा रहे।

पीसीबी अधिकारियों ने पूछा तो बताया था कि रिसाव के कारण पानी आ रहा है। सीधे तौर पर पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। उन्होंने बंद करने कहा था या नहीं एक बार और पूछते हैं।

रवि शर्मा सीनियर मैनेजर ओपीएम

भोपाल के अधिकारियों के साथ जांच के लिए पहुंचे तो गड़बडिय़ां नहीं मिली थी। नमूने लिए हैं। रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी।

संजीव मेहरा आरओ पीसीबी शहडोल

Created On :   8 Feb 2024 4:33 PM GMT

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