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Satna News: इकलौते स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भैय्या बहादुर सिंह ने लिया देहदान का संकल्प
- हजारों की संख्या में महज एक या दो लोग ही देहदान करने का साहस जुटा पाते हैं।
- वर्ष 1952-53 में भैय्या बहादुर ने स्वर्गीय जमुना प्रसाद शास्त्री के नेतृत्व में गोवा सत्याग्रह आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी।
Satna News: शहर के गढिय़ा टोला निवासी और जिले के एकमात्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भैय्या बहादुर सिंह (97 वर्ष) ने गुरूवार को देहदान का संकल्प लिया। उन्होंने मरणोपरांत मेडिकल कॉलेज में अध्ययनरत छात्रों के लिए देहदान का संकल्प लेकर मानवता की एक मिसाल कायम की है। शतायु होने की दहलीज पर खड़े भैय्या बहादुर ने आने वाली पीढिय़ों के लिए एक सार्थक संदेश दिया है। उनके इस महान कार्य के लिए अमर ज्योति परिवार ने उनकी लंबी उम्र की कामना करते हुए आभार व्यक्त किया है। अमर ज्योति परिवार के संयोजक मनोहर डिगवानी ने कहा कि देह का दान मानवता की सेवा के लिए श्रेष्ठदान है।
उन्होंने बताया कि हजारों की संख्या में महज एक या दो लोग ही देहदान करने का साहस जुटा पाते हैं। विनोद गेलानी बताते हैं कि अमर ज्योति परिवार की प्रेरणा से अब तक 45 लोगों ने मरणोपरांत देहदान का संकल्प लिया है। भैय्या बहादुर सिंह ने अमर ज्योति की प्रेरणा से 46वें देहदान का संकल्प लिया है। गढिय़ा टोला स्थित निवास में उनके पुत्र अरूण प्रताप सिंह, सीता सिंह सहित अमर ज्योति परिवार के सदस्य उपस्थित रहे।
ब्रिटिश हुकूमत के विरूद्ध किया था विद्रोह
मूलत: सतना जिला अंतर्गत पिंडरा के ब्रम्हीपुर निवासी भैय्या बहादुर सिंह का देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अभूतपूर्व योगदान रहा है। एडवोकेट अरूण प्रताप सिंह बताते हैं कि वर्ष 1946-47 के दौरान उनके पिता ने उत्तरदायी शासन की मांग को लेकर अपने 15 साथियों के साथ सबसे पहले बरौंधा में ब्रिटिश हुकूमत के विरूद्ध विद्रोह का विगुल फूंका था।
वर्ष 1952-53 में भैय्या बहादुर ने स्वर्गीय जमुना प्रसाद शास्त्री के नेतृत्व में गोवा सत्याग्रह आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। भैय्या बहादुर कहते हैं कि सरकारों को ऐसा प्रबंध करना चाहिए कि स्वतंत्रता सेनानियों का नाम न मिटने पाए, यह नाम इतिहास के पन्नों में अमर हो जाएं।
Created On :   20 Dec 2024 2:38 PM IST