धन संकट: अयोध्या की तर्ज पर चित्रकूट को विकसित करने के चुनावी वादे के बीच बंद हो गई गंगा आरती!

बाजार में 1 लाख की उधारी, 2 माह से 7 पुजारियों को नहीं मिला वेतन

डिजिटल डेस्क सतना। धर्मनगरी चित्रकूट में पुण्य सलिला मंदाकिनी के जिस भरतघाट पर विकास की गंगा बहाने के बड़े-बड़े चुनावी वादे हुए थे, उसी घाट पर 14 माह पहले शुरु की गई गंगा आरती धन संकट के कारण बंद हो गई। शर्मनाक यह भी है कि आर्थिक दरिद्रता के कारण गंगा आरती के लिए गठित प्रबंध समिति 1 लाख के कर्ज में है। बाजार में उधारी पड़ी है। गंगा आरती के लिए नियुक्त 7 पुजारियों को 2 माह का वेतन भी नहीं मिला है। समिति के बैंक खाते में सिर्फ 6 हजार का बैलेंस है। पुजारियों को वेतन मद में प्रतिमाह 21 हजार रुपए दिए जाते थे। इस संबंध में मझगवां के एसडीएम जीतेंद्र वर्मा से संपर्क करने के बाद भी जवाब नहीं मिला।

पिछले साल जनवरी में हुई थी शुरुआत-




उत्तर प्रदेश के रामघाट की तर्ज पर मध्यप्रदेश के भरतघाट में भी गंगा आरती के आयोजन की घोषणा सबसे पहले भाजपा की शिवराज सिंह सरकार में धार्मिक न्यास,धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री रहीं ऊषा ठाकुर ने की थी। मझगवां के तबके एसडीएम ने विगत वर्ष जनवरी में प्रतिदिन नियमित आरती के लिए मां मंदाकिनी गंगा आरती प्रबंध समिति गठित की थी। संतोषी अखाड़ा के महंत रामजीदास महाराज की अध्यक्षता वाली इस समिति चित्रकूट के सीएमओ सचिव और नायब तहसीलदार बतौर कोषाध्यक्ष शामिल किए गए थे। मझगवां एसडीएम और चित्रकूट विधायक के साथ समिति में 78 सदस्य शामिल किए गए थे। चित्रकूट का ऐसा एक भी महान समाजसेवी नहीं है जो इस समिति का सदस्य न हो। लेकिन चालू साल के मार्च महीने में अंतत: गंगा आरती बंद हो गई। उल्लेखनीय है, इसी मंदाकिनी के रामघाट में यूपी की चित्रकूट नगर पालिका द्वारा गंगा आरती का वर्षों से नियमित रुप से आयोजन किया जा रहा है।

विधायक बोले- चुनाव बाद नगरीय प्रशासन मंत्री से करेंगे बात-

लगभग 2 माह से बंद गंगा आरती से जुड़े सवाल के जवाब में चित्रकूट से भाजपा के विधायक सुरेंद्र सिंह गहरवार ने कहा कि उन्हें अभी दो-दिन पहले ही पता चला है कि गंगा आरती धन संकट के कारण बंद है। विधायक ने कहा कि वह चुनाव आचार संहिता खत्म होने के बाद नगरीय प्रशासन मंत्री से बात कर नियमित रुप से प्रतिदिन गंगा आरती की व्यवस्था सुनिश्चित कराएंगे।

Created On :   28 May 2024 10:59 PM IST

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