छत्तीसगढ: राजिम कुंभ कल्प में वैष्णव नागाओं ने की निशान पूजा
- परंपरा का निर्वहन कुंभ में पूजा अर्चना कर तथा संतो द्वारा शौर्य प्रदर्शन कर किया जाता है।
- इन दलों के पास एक विशाल छड़ी में ध्वज होता था, जिसे निशान कहते है।
- इसी परंपरा का निर्वहन पूरे भव्यता और विधि-विधान के साथ राजिम कल्प कुंभ में कर रहे हैं।
डिजिटल डेस्क,रायपुर। राजिम कुंभ कल्प-2024 के 12वें दिन संत समागम स्थल में वैष्णव नागाओं ने अपनी पंथ परंपरा के अनुसार महंत नरेंद्र दास जी महाराज महासचिव श्री अखिल भारतीय मंच रामानंदी अखाड़ा के नेतृत्व में निशान पूजा कर अपनी परम्परा का निर्वहन किया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत देश में कुल तेरह अखाड़े है जिसमें तीन अखाड़े वैष्णव संप्रदाय के है, ये तीनो अखाड़ो ने राजिम कुंभ में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इनमें श्रीपंच निर्माेही अखाड़ा, श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़ा, श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़़ा के महंत नागा शामिल है।
गौरतलब है कि कालांतर में जब देश में सनातन धर्म पर हमला हुआ, तब संतो की एक लड़ाकू फौज का गठन किया गया जिन्हें अस्त्र-शस्त्र की विद्या से रण कौशल की दीक्षा देकर इन्हें धर्म की रक्षा का दायित्व सौंपा गया। इन दलों के पास एक विशाल छड़ी में ध्वज होता था, जिसे निशान कहते है।
यह निशान अखाड़ो की मान्यता के अनुसार यह हनुमान जी का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस निशान को हनुमान जी का आशीर्वाद मानकर उनके दिशा-निर्देश अनुसार सनातन धर्म की रक्षा के लिए युद्ध करते थे। इन अखाड़ों की सदियों पुरानी यह परंपरा आज भी बादस्तुर जारी है और इस परंपरा का निर्वहन कुंभ में पूजा अर्चना कर तथा संतो द्वारा शौर्य प्रदर्शन कर किया जाता है।
नागा साधुओं ने इसी परंपरा का निर्वहन पूरे भव्यता और विधि-विधान के साथ राजिम कल्प कुंभ में कर रहे हैं। निशान पूजा के अवसर पर महंत नरेंद्र दास जी, महंत राधा मोहन दास जी, मंडलेश्वर राधेश्याम दास जी, महंत रामदास जी महाराज, महंत पवन दास जी, महंत श्यामबिहारी जी, महंत देवनाथ जी, महंत छबिराम जी, महंत संतदास, राजेश्वरानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर सर्वेश्वर दास जी सहित बड़ी संख्या में अखाड़ों के महंत, साधु-संत और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
Created On :   7 March 2024 6:38 PM IST