विधानसभा चुनाव: छत्तीसगढ़ : बनाया है तो संवारेंगे, वादा किया तो निभाएंगे, कांग्रेस-भाजपा ने झोंकी ताकत

छत्तीसगढ़ :  बनाया है तो संवारेंगे, वादा किया तो निभाएंगे, कांग्रेस-भाजपा ने झोंकी ताकत
छत्तीसगढ़ की स्थापना को 22 साल पूरे हुए, प्रमुख दलों में विज्ञापन देने की होड़ मची

संजय देशमुख, रायपुर । एक नवंबर को छत्तीसगढ़ को राज्य बने हुए 22 साल हो गए। रायपुर से प्रकाशित होने वाले अखबारों में भाजपा और कांग्रेस ने एक-एक पेज के विज्ञापन दिए। भाजपा के विज्ञापन की टैग लाइन है, ‘भाजपा ने बनाया है, भाजपा ही संवारेगी’ तो कांग्रेस की टैग लाइन है, ‘वादा है फिर निभाएंगे’। भाजपा के विज्ञापन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर है। लंबे समय बाद भाजपा को अटल बिहारी याद आए हैं, उनके प्रधानमंत्री काल में ही सन 2000 में छत्तीसगढ़ के साथ उत्तराखंड और झारखंड पृथक राज्य बने थे। विज्ञापन की होड़ मची है। प्रदेश को कौन संवारेगा और कौन वादा निभाएगा यह तो 3 दिसंबर को परिणाम के बाद ही पता लगेगा। लेकिन फिलहाल सात नवंबर को 20 सीटों के लिए होने वाले पहले चरण के लिए प्रचार अंतिम चरण में पहुंच गया है। प्रचार समाप्त होने में चार दिन बचे हुए हैं।

दोनों दलों के 36 विधायक घर बिठाए : कांग्रेस ने इस बार 90 सीटों पर 47 चेहरे नए उतारे हैं। 22 को घर बिठाया है। उनमें 8 ऐसे हैं जो 32 हजार से अधिक वोटों से जीते हैं। भाजपा ने एक मंत्री समेत 14 विधायकों का टिकट काटा है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 43 फीसदी तथा भाजपा 33 फीसदी था। छत्तीसगढ़ में कुल 33 जिले हैं उनमें मुख्यमत्री भूपेश बघेल ने अपने कार्यकाल में 5 नए जिले बनाए। खैरागढ़ को राजनांदगांव से अलग किया गया।

पुत्र हिंसा में मारा गया पिता पर दांव लगाया : रायपुर से साझा शहर की दूरी 67 किमी है। भाजपा ने साजा विधानसभा सीट से ईश्वर साहू को उम्मीदवार बनाया है। ईश्वर साहू बिरनपुर हिंसा के पीड़ित हैं। इसी साल 6 अप्रैल को बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में सांप्रदायिक झड़प की घटना में भुवनेश्वर साहू की मौत हो गई थी। ईश्वर साहू भुवनेश्वर साहू के पिता हैं। पिता को भाजपा ने टिकट देकर बड़ा दांव खेला है। ईश्वर साहू को अमित शाह के मंच पर प्रमुखता से जगह दी गई है। ईश्वर जिस साहू समाज से आते हैं वह छत्तीसगढ़ की सबसे प्रभावी ओबीसी जातियों में से एक है। ईश्वर साहू का न तो कोई राजनीतिक बैकग्राउंड है और न ही वे कभी राजनीति में सक्रिय ही रहे हैं। ईश्वर साहू का मुकाबला छग के पंचायत एवं ग्रामीण पशुपालन शिक्षा मंत्री रवींद्र चौबे से है, जो 9वीं बार साझा से चुनाव मैदान में उतरे हैं।

खैरागढ : विधानसभा सीट खैरागढ़ है में लोधी समाज की बहुलता है। यहां से यशोदा वर्मा विधायक हैं। रमन सिंह ने उनके भांजे विक्रांत सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है। पिछले तीन चुनावों से विक्रांत सिंह टिकट के लिए दावेदारी कर रहे थे, अब उन्हें मौका दिया गया है। साल 2022 में यशोदा वर्मा ने उपचुनाव में जीत हासिल की थी। यशोदा राजनांदगांव जिला पंचायत की सदस्य रह चुकी हैं। इसके अलावा वह पंचायत सदस्य और अपने गांव में भी सरपंच रह चुकी हैं।

मोहला मानपुर : छत्तीसगढ़ की नक्सलग्रस्त मोहला मानपुर विधानसभा सीट पिछले 15 वर्षों से कांग्रेस का गढ़ है। इस सीट से कांग्रेस के ही प्रत्याशी जीतते आ रहे हैं। भाजपा ने गोंड समाज के संजीव साहा पर दांव लगाया है. कांग्रेस के इंद्रशाह मड़ावी यहां से विधायक है। भाजपा के उम्मीदवार संजीव सहा गोंड समाज से आते है। इस सीट पर 60 फीसदी अनुसूचित जनजाति के मतदाता है। विधानसभी क्षेत्र के साराखेडा गांव में 21 अक्टूबर को नक्सलियों ने भाजपा कार्यकर्ता बिरझू सारम की हत्या की थी। कार्यकर्ता के शव को कंधा देने के लिए खुद रमन सिंह पहुंच गए थे।

कितने प्रभावशाली है साहू : अनुमानों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में साहू समाज की आबादी करीब 12 फीसदी है। राज्य की आबादी 3.21 करोड़ है। कई सीटों पर जीत और हार तय करने में समाज के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों ही दल साहू समाज के अधिक उम्मीदवारों पर दांव लगाते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचार के दौरान कहा था कि छत्तीसगढ़ में जो साहू समाज के लोग हैं, इसी समाज को गुजरात में मोदी कहा जाता है। भाजपा ने छत्तीसगढ़ की सत्ता गंवाने के बाद लोकसभा चुनाव में राज्य की 11 में से 9 सीटें जीतने में सफल रही थीं। इसके पीछे मोदी के इस बयान से बने माहौल को भी श्रेय दिया गया था।

Created On :   2 Nov 2023 12:10 PM IST

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