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फैसला: डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले में दो आरोपियों को आजीवन कारावास
- तीन लोगों को सबूतों के अभाव के चलते किया बरी
- 11 सालों के बाद आया ऐतिहासिक फैसला
- मार्निंग वॉक के समय चलाई थी गोली
डिजिटल डेस्क, पुणे । महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्याध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में सचिन अंदुरे और शरद कलसकर को विशेष न्यायाधीश पी.पी जाधव ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस सजा के साथ दोनों को पांच लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना नहीं भरने पर एक साल की सजा बढ़ जाएगी। न्यायालय ने डॉ. वीरेंद्रसिंह तावडे, विक्रम भावे और एड. संजीव पुनालेकर को सबूतों के अभाव के चलते निर्दोष माना है। इस मामले की सुनवाई 11 साल तक चली जिसके बाद आज फैसला सुनाया गया।
विशेष न्यायाधीश पी.पी. जाधव ने डॉ. दाभोलकर हत्याकांड में फैसला सुनाते हुए कहा कि सचिन अंदुरे और शरद कलसकर ने फायरिंग करने का अपराध स्वीकार किया है। उनके खिलाफ पुख्ता सबूत पुलिस ने कोर्ट में पेश किए हैं, जिसके आधार पर दोनों अपराधियों को सजा सुनाई गई है। डॉ. तावडे पर हत्या की साजिश रचने को लेकर शक है लेकिन पुलिस और सरकारी वकील उनके खिलाफ सबूत कोर्ट में पेश करने में असफल रहे हैं। साथ ही भावे और पुनालेकर के खिलाफ भी पुख्ता सबूत पेश करने में पुलिस नाकाम रही। इसीलिए भावे, एड. पुनालेकर और डॉ. तावडे को दाभोलकर हत्या मामले से बरी किया गया है।
मार्निंग वॉक पर निकले डॉ. दाभोलकर को गोली मारी थी : डॉ. दाभोलकर की पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर 20 अगस्त 2013 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड का रहस्य पुलिस ठीक से नहीं सुलझा पाई तो मुंबई हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच में शुरू की थी। इस हत्याकांड के आरोप में डॉक्टर वीरेंद्र सिंह तावड़े, सचिन अंदुरे, शरद कलसकर, संजीव
Created On :   10 May 2024 7:44 PM IST