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मतभेद उजागर: ओबीसी आयोग के एक और सदस्य लक्ष्मण हाके का इस्तीफा
- एक माह में तीन सदस्यों ने दिया इस्तीफा
- आयोग के सदस्यों में मतभेद फिर उजागर
डिजिटल डेस्क, पुणे। राज्य सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग को केवल मराठा समुदाय के पिछड़ेपन की जांच करने का आदेश देने के बाद अब आयोग के सदस्यों के बीच दरार सामने आ रही है। प्रो. संजीव सोनवणे के बाद हालिया एड बालाजी किल्लारीकर ने आयोग की सदस्य्ता से इस्तीफा दिया। इसके बाद आयोग के एक और सदस्य लक्ष्मण हाके ने इस मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया है कि सभी समाजों का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। कोई भी आयोग केवल एक समाज के एजेंडे पर काम नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी पूछा है कि हर समाज में पिछड़े लोग हैं, उनका सर्वेक्षण कब होगा।
पिछले महीने आयोग के तीसरे सदस्य ने इस्तीफा दे दिया है। प्रो. संजीव सोनवणे, एड. बालाजी सागर किल्लारीकर के बाद इसमें और अब लक्ष्मण हाके का नाम जुड़ गया है। हाके ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग आयोग को दिए गए संदर्भ शब्द के अनुसार, आयोग के कुछ सदस्यों ने केवल मराठा समुदाय के पिछड़ेपन की जांच के रूप में अपनी सुविधा की व्याख्या की है। हालाँकि, मैंने प्रस्ताव दिया कि आयोग को सभी समुदायों का सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण करना चाहिए और इससे तथ्य सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के विरोध के कारण इस्तीफा दिया है।
मराठा समुदाय के पिछड़ेपन की जांच करते हुए, लक्षमण हाके ने सवाल उठाया कि एक ही जाति के भीतर तुलना कैसे की जा सकती है। शैक्षिक पिछड़ेपन या इसकी दर, गरीबी दर, महिलाओं की शिक्षा का स्तर जैसे कई सवाल हैं। ये मतभेद सिर्फ इसलिए नहीं पैदा हुए हैं क्योंकि राज्य सरकार के आदेश में इसका कोई स्पष्ट जिक्र नहीं है बल्कि इसलिए कि आयोग के आधे सदस्यों की राय अलग है। उन्होंने अपनी सुविधा के अनुसार इसकी व्याख्या की है। उन्होंने इन सदस्यों पर परोक्ष हस्तक्षेप और राजनीतिक दबाव का भी आरोप लगाया।
राज्य पिछड़ा वर्ग यह एक संवैधानिक आयोग है और हम किसी के एजेंडे पर काम नहीं कर रहे हैं। इसीलिए मैंने जिम्मेदारी और संप्रभुता की भावना बनाए रखने के लिए इस्तीफा दिया है। जिस प्रकार मराठा समाज पिछड़े हैं, उसी प्रकार अन्य समाज भी पिछड़े हैं। उन्होंने एक गंभीर सवाल भी पूछा कि वे अपना सर्वेक्षण कब कराएंगे या फिर उन्हीं लोगों पर सर्वेक्षण करेंगे जिन्होंने इसके लिए अनुरोध किया है। आयोग के सदस्य रहे बबन ताइवाडे ने 2 साल पहले इस्तीफा दे दिया था। एक महीने पहले ही उनकी जगह अंबादास मोहिते की नियुक्ति की गई है। उसके बाद एक महीने में आयोग के तीन सदस्य इस्तीफा दे चुके हैं। तीन सीटें खाली हैं, आयोग में अब अध्यक्ष समेत सात सदस्य बचे हैं।
Created On :   4 Dec 2023 8:11 PM IST