Pune News: रिश्वत मांगने पर फेसबुक लाइव करने वाले नागरिक के खिलाफ एफआईआर सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की

रिश्वत मांगने पर फेसबुक लाइव करने वाले नागरिक के खिलाफ एफआईआर सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की
  • महिला पुलिस कांस्टेबल ने मांगी थी 1000 रु. की रिश्वत
  • इसे सोशल मीडिया के जरिए जनता के तक पहुंचाया था
  • महिला कांस्टेबल के खिलाफ कुछ लोगों ने कर दी थी अश्लील टिप्पणियां

Pune News : सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए पुणे निवासी विजय सागर के खिलाफ दर्ज एफआईआर और सभी आपराधिक कार्यवाहियों को रद्द कर दिया। मामला तब शुरू हुआ जब सागर ने रिश्वत मांगने वाली एक महिला ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल का फेसबुक लाइव वीडियो बनाया था। 27 नवंबर 2022 को पुणे के जेएम रोड पर विजय सागर ने अपनी दोपहिया वाहन फुटपाथ के किनारे पार्क की थी। एक महिला ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल ने उनका वाहन जब्त कर लिया। वाहन शिवाजीनगर ट्रैफिक चौकी ले जाया गया। जब सागर अपनी बेटी और एक वर्षीय पोते के साथ वहां पहुंचे, तो उनसे 785 रु. का चालान भरने को कहा गया, जिसे उन्होंने ऑनलाइन भर दिया। इसके बाद महिला कांस्टेबल ने 1000 रु. नकद की मांग की, जिसे "कॉर्पोरेशन फाइन" बताया गया। सागर ने इसे रिश्वत मानते हुए देने से इनकार कर दिया। जब कांस्टेबल ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, तो सागर ने फेसबुक लाइव के जरिए अपनी स्थिति रिकॉर्ड कर सार्वजनिक करने का निर्णय लिया। मामला आगे बढ़ा और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। 27 नवंबर 2024 को न्यायालय ने सागर के पक्ष में फैसला सुनाया।

न्यायालय में वकील सत्य मुले ने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में सोशल मीडिया पर कानूनी रूप से कुछ भी पोस्ट करना शामिल है, अगर अन्य लोग अश्लील या अपमानजनक टिप्पणियां करते हैं, तो पोस्ट करने वाले व्यक्ति को आपराधिक रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। पुलिस का 1000 रु. नकद मांगना महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम के तहत अवैध था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि " यदि रिश्वत मांगने वाले को व्यक्ति सोशल मीडिया के जरिए जनता के बीच ले जा रहा है तो उस पर व्यक्ति पर कार्रवाई करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। यह मामला हाईकोर्ट को पहले ही रद्द कर देना चाहिए था।" अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी अन्य व्यक्ति ने अश्लील या अपमानजनक टिप्पणी की है, तो शिकायतकर्ता कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। सागर का कोई आपराधिक इरादा नहीं था। उन्होंने केवल अपनी परेशानी को सार्वजनिक किया। पुलिस द्वारा 1000 रु. नकद मांगना अवैध था और यह कार्रवाई प्रतिशोध की भावना से प्रेरित थी। महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम के तहत पुलिस को यातायात उल्लंघनकर्ताओं से नकद जुर्माना वसूलने का कोई अधिकार नहीं है। विजय सागर ने कहा कि "मैंने रूपए 785 का चालान ऑनलाइन भरा था लेकिन महिला कांस्टेबल ने 1000 रु. नकद की मांग की। जब मैंने इनकार किया, तो मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई।"

महिला कांस्टेबल के खिलाफ कुछ लोगों ने कर दी थी अश्लील टिप्पणियां

जब विजय सागर का फेसबुक लाइव वीडियो वायरल हो गया तो कुछ अनजान लोगों ने महिला कांस्टेबल के खिलाफ अश्लील और अपमानजनक टिप्पणियां की। जैसे ही सागर को इसका पता चला, उन्होंने वीडियो तुरंत हटा दिया। इसके बावजूद 29 नवंबर 2022 को महिला कांस्टेबल ने सागर और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500, 509, 34 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज कराई। एफआईआर दर्ज होने के बाद सागर ने सत्र न्यायालय से अग्रिम जमानत ली। इसके बाद एफआईआर रद्द करने के लिए उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया। हाईकोर्ट ने आरोप पत्र दाखिल होने का हवाला देकर याचिका खारिज कर दी। इसके बाद सागर ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।

Created On :   3 Dec 2024 10:08 PM IST

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