Pune News: चौंकाने वाला खुलासा - पड़ोसी देश में मिल रही फांसी, यहां निलंबन से भी दूर हैं भ्रष्ट !

चौंकाने वाला खुलासा - पड़ोसी देश में मिल रही फांसी, यहां निलंबन से भी दूर हैं भ्रष्ट !
  • भ्रष्टाचार के मामलों में सजा सुनाए जाने के बाद भी पदों पर बने हुए हैं 17 अधिकारी
  • एसीबी के सांख्यिकी ब्यौरे से हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Pune Nagpur : पड़ोसी चीन देश की एक अदालत ने बैंक ऑफ चाइना के पूर्व अध्यक्ष को भ्रष्टाचार और अवैध ऋण जारी करने के आरोप में दो साल की सजा के साथ मौत की सजा सुनाई है। उन्हें 121 मिलियन युआन (16.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक की रिश्वत लेते हुए पाया गया है। एक तरफ चीन जैसे दूसरे देशों में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों में दोषियों को सीधे फांसी की सजा सुनाई जा रही है। वहीं दूसरी तरफ हमारे देश में भ्रष्टों को संरक्षण देकर उन पर मेहरबानी की जा रही है। महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा जारी आंकड़ों से रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों में सजा मिलने के बाद भी 17 सरकारी अधिकारी और कर्मचारी अपने पदों पर बने रहने की जानकारी सामने आयी है। इतना ही नहीं एसीबी की कार्रवाई के बाद प्रदेश के 165 अधिकारी और कर्मचारी संबंधित विभाग द्वारा की जाने वाली निलंबन कार्रवाई से भी दूर ही रहने का खुलासा हुआ है।

- 654 मामलों में 993 पर कार्रवाई

एसीबी द्वारा जारी वर्ष में रिश्वतखोरी, आय से अधिक संपत्ति और अन्य भ्रष्टाचार के 654 मामले उजागर कर 993 भ्रष्ट सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई की है। आम तौर पर रिश्वत लेते रंगे हाथों पकडे जाने के बाद एसीबी की कार्रवाई के साथ संबंधित सरकारी विभाग के अधीन आरोपी अधिकारी व कर्मचारी को तत्काल निलंबित कर दिया जाता है। उसकी विभागीय जांच शुरू कर पुलिस की कार्रवाई के बाद अदालत में चार्जशीट पेश की जाती है। यहां दोषी करार दिए जाने के बाद उनके खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई की जाती है। हालांकि भ्रष्टाचार के मामलों में रंगेहाथों पकडे जाने के बाद कड़ी कार्रवाई तो दूर की बात है कई घूसखोर निलंबन तक की कार्रवाई से दूर नजर आते हैं।

- आधिकारिक वेबसाइट से हुआ खुलासा

एसीबी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर रिश्वतखोरी के मामलों में रंगेहाथ पकडे जाने के बावजूद निलंबन और दोषी करार देने एवं सजा सुनाये जाने के बाद निष्कासन से दूर रहे भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों का ब्यौरा जारी किया है। इस साल में 11 नवंबर तक रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकडे जाने के बाद भी 165 सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को निलंबित नहीं किया जा सका है। उससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि 17 सरकारी अधिकारी और कर्मचारी तो भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामलों में दोषी पाने और सजा सुनाए जाने के बाद भी सरकारी सेवा से निष्कासित नहीं किया जा सका है।

- अदालती कार्यवाही में लटके कई मामले

भ्रष्टाचार के अलग- अलग मामलों में एसीबी द्वारा रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकडे जाने के बाद भी निलंबन की कार्रवाई से दूर रहे भ्रष्टों की सर्वाधिक 41 संख्या एसीबी के मुंबई परिक्षेत्र की है। उसके बाद ठाणे परिक्षेत्र का नंबर आता हैं जहां निलंबन से दूर रहे अधिकारी-कर्मचारियों की संख्या 39 है। तीसरे नंबर पर औरंगाबाद है जहां 22 भ्रष्टाचारियों को निलंबन से बख्शा गया है। इसके बाद चौथे नंबर पर पुणे परिक्षेत्र है जहाँ ऐसे भ्रष्टों की संख्या 16 है। इसके पश्चात नासिक (15), नागपुर (12), अमरावती और नांदेड़ परिक्षेत्र (10- 10) परिक्षेत्रों का नंबर आता है। इन 165 भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों में सर्वाधिक 41 शिक्षा व खेल विभाग और 36 नगरविकास विभाग एवं 24 पुलिस विभाग के अफसर और कर्मचारियों का समावेश है। सजा सुनाये जाने के बावजूद निष्कासन की कार्रवाई से दूर रहे 17 भ्रष्टाचारियों में नागपुर परिक्षेत्र के चार, नासिक, औरंगाबाद और नांदेड़ परिक्षेत्रों के तीन- तीन, अमरावती परिक्षेत्र के दो और ठाणे व पुणे परिक्षेत्रों के एक- एक अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। यह उल्लेखीनय है कि इनमें ज्यादातर मामले अदालती कार्यवाही में लटके हुए हैं।

Created On :   29 Nov 2024 11:17 AM IST

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