Pune News: ऐसे बने तपन कुमार मशहूर गजल गायक तलत महमूद …

  • तलत महमूद द डेफिनेटिव बायोग्राफी के जरिए लेखक सहर जमान ने बताया
  • किताब पुणे पुस्तक महोत्सव में खूब पसंद की जा रही
  • संघर्ष के दिनों को भी बताया

Pune News

जलते हैं जिस के लिए

तेरी आंखों के दिये

ढूंढ लाया हूं वही

गीत मैं तेरे लिए

जलते हैं जिस के लिए…

इस गीत के साथ ही कई अन्य ऐसे गाने हैं जिन्होंने ख्यात गायक मरहूम तलत महमूद को आज भी उनके प्रशंसकों के दिलों में जिंदा रखा है। तलत साहब को उनकी मधुर गायिकी के लिए आज भी याद किया जाता है। यह कम ही लोगों को पता होगा कि तलत महमूद ने अपने जीवन में कितना संघर्ष किया। संघर्ष के दौरान उन्होंने जो लड़ाईयां लड़ी वह भी मधुरता लिए हुए ही रही जिसने उनके अलावा कई गायकों के कैरियर को सफलता दिलाई। तलत महमूद एक समय तपन कुमार बन गए थे, फिर वे तलत महमूद के नाम से पहचाने जाने लगे। कलकत्ता (कोलकाता) से कैसे वे मुंबई पहुंचे, यह सभी जानना चाहते थे। यही नहीं देश के बंटवारे के बाद भाईयों के साथ पाकिस्तान जाने के बजाय पिता मंजूर महमूद के साथ हिंदुस्तान में ही रहना उन्होंने तय किया। कैसे बुआ ने उनका साथ दिया या फिर प्रेमिका लतिका मलिक (नसरीन महमूद) कब उनकी जिंदगी में आई व पत्नी बनी यह लिखा गया है किताब तलत महमूद द डेफिनेटिव बायोग्राफी में। यह किताब पुणे पुस्तक महोत्सव में भी रखी गई है। किताब की लेखिका हैं सहर जमान जो तलत महमूद की नातिन भी हैं।

सहर जमान ने दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में बताया कि मेरी नानी और तलत साहब भाई-बहन थे। जब मैं छोटी थी तब लगभग हर साल ही मामू (तलत साहब) के यहां मुंबई जाकर रहती थी। यही कारण था कि मैं उन्हें बंबई नाना बुलाती थी। 9 मई 1998 को लगभग 74 साल की उम्र में उनका निधन हुआ। मैं हमेशा उनके जीवन के बारे में सोचती रहती थी क्योंकि जब मैं उनके यहां जाती थी, तब वे विदेशों में कई प्रोग्राम करते थे। मन्ना डे, मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर, किशोर कुमार, मुकेश जैसे ख्यात गायकों का तलत साहब के पास आना-जाना था जो उनके प्रति मुझे आकर्षित करता था। साल 2024 में उनकी जन्म शताब्दी थी जिससे मुझे लगा तलत साहब के जीवन के बारे में लोगों को बताना चाहिए। यही कारण रहा कि मैंने उनकी बायोग्राफी लिखी। यह तलत साहब का ही आशीर्वाद है कि उनपर लिखी मेरी किताब जब फरवरी 2024 में पब्लिश हुई तो उसके अगले ही महीने मुझे दो बड़े अवार्ड मिले जिसमें से एक टाइम्स ऑफ इंडिया का ऑथर अवार्ड पापुलर च्वाइस भी शामिल है। तलत साहब के जीवन के अच्छे पल कौन से थे जो आपको लिखने के दौरान महसूस हुए? इस प्रश्न के जवाब में सहर बताती हैं कि 1970 के दशक में जो वर्ल्ड टूर उन्होंने शुरू किए वह हमारे यहां के कलाकारों को नई ऊर्जा देने वाला था। तलत साहब ने हमारे कलाकारों को ही प्रोत्साहित नहीं किया बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों के लिए भी इंडिया कल्चरल क्लब स्थापित किए। इसी तरह 9 मई 1998 को किताब में उनकी मौत के समय का जिक्र करते समय मेरे आंसू निकल आए। जीवन के अंतिम समय में उन्हें लगता था लोगों ने उन्हें भुला दिया लेकिन तलत साहब की लोकप्रियता यह थी कि काफी दिनों तक मीडिया के लोग मेरी नानी का इंटरव्यू लेकर तलत साहब के बारे में जानते रहे।

पिता चाहते थे सरकारी नौकरी, बुआ ने की मदद..ऐसे बने तपन

किताब में बताया गया है कि लखनऊ के रहने वाले तलत महमूद के पिता चाहते थे वे सरकारी नौकरी करें लेकिन उनके बेटे की दिलचस्पी गायकी में थी। बुआ महलका ने तलत साहब के हुनर को पहचानते हुए अपने भाई से तलत को संगीत कला में ही आगे बढ़ाने की बात की। स्कूली शिक्षा के बाद पिता ने म्यूजिक की बैचलर डिग्री के लिए उनका एडमिशन करा दिया। सेकंड ईयर में जब वे थे तब एएमवी कंपनी ने उन्हें चयनित कर कलकत्ता ले जाना तय किया। वहां जाकर तलत साहब ने न सिर्फ बंगाली सीखी बल्कि अपने गुरु के कहने पर नाम तपन कुमार कर लिया। बैचलर डिग्री करने के बाद एक समय यह आया कि उन्हें मुंबई (तब की बंबई) जाना पड़ा। कुछ समय तक वे तपन के नाम से बंगाली में और तलत के नाम से हिंदी गीत गाया करते थे। कलकत्ता में ही उनकी मुलाकात लतिका मलिक से हुई जिनसे उन्हें प्रेम हो गया। कुछ समय बाद इनकी शादी हो गई।

भाई पाकिस्तान गए लेकिन तलत यही बस गए

बंटवारे के समय तलत के भाई कमाल महमूद (आर्मी) और हयात महमूद (एविएशन इंडस्ट्री) दोनों ने पाकिस्तान जाना तय किया लेकिन तलत ने हिंदुस्तान में ही रहने का फैसला किया। पिता मंजूर भी तलत के साथ यहीं बस गए। सहर बताती हैं 1980 में डिस्को युग शुरू हुआ। तेज आवाज में गायकी तलत साहब के स्वभाव के ही विपरीत थी। यही कारण रहा कि उन्होंने गायन से खुद को पीछे कर लिया।

तलत साहब को लेकर कुछ खास बातें

- साल 1960 में उन्होंने गानों की रायल्टी के लिए संघर्ष किया जिसमें कई ख्यात गायक उनके साथ थे। करीब 15 महीने गाने रिकॉर्ड ही नहीं हुए, फिर इन्हें जीत मिली। तब से रायल्टी शुरू हुई।

-साल 1957 में पुणे स्थित एनडीए में तलत साहब आए ताकि कैडेट्स का मनोरंजन किया जा सके।

-1956 में तंजानिया में एक जगह जब ट्रेन रूकी तो लोगों ने उन्हें घेर लिया। वहां एक शो करने के बाद ही तलत साहब वापस जा सके। उस दौरे में 15 शो होना तय थे लेकिन 30 शो आयोजित किए गए।

-बाढ़ राहत के लिए भी तलत साहब ने कई शो किए जिसमें अमेरिका के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए शो भी शामिल है।

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Created On :   19 Dec 2024 2:44 PM IST

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