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एक्स पर पोस्ट: निलंबन के बाद सांसद सुप्रिया सुले ने कहा इमरजेंसी जैसे हालात
- शीतकालीन सत्र के दौरान सुले समेत 49 सांसदों को निलंबित कर दिया गया
- सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट के जरिये नाराजगी जताई
डिजिटल डेस्क, पुणे। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सुले समेत 49 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। इस कार्रवाई के बाद सांसद सुले ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट के जरिये नाराजगी जताते हुए कहा कि, यह एक तरह से इमरजेंसी जैसे हालात हैं। सूखे और सरकारी नीतियों की मार झेल रहे किसानों को कर्जमाफी, प्याज-कपास-सोयाबीन-दूध के मूल्य को लेकर सरकार से नहीं पूछें तो और किस्से पूछे? अगर सरकार किसानों की समस्याएं नहीं उठाना चाहती, सरकार बेरोजगारों की समस्याएं नहीं सुनना चाहती, अगर सरकार महिलाओं और मध्यम वर्ग की समस्याएं नहीं सुनना चाहती, तो क्या उनके मसलों पर आवाज नहीं उठानी चाहिए चाहिए? ऐसे कई सवाल सांसद सुप्रिया सुले ने केंद्र सरकार पर दागे हैं।
निलंबन की कार्रवाई के बाद सांसद सुले ने सोशल मीडिया पर सवाल पूछते हुए कहा कि अगर ये सवाल उठाए जाते हैं तो उन्हें सदन से बाहर कर दिया जाता है। संसद की सुरक्षा में वास्तव में क्या गड़बड़ी हुई? क्या भाजपा के राज्य में इस बारे में सवाल पूछना अपराध है? यह प्रश्न पूछने वाले 141 सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष ने निलंबित कर दिया है। भाजपा सरकार ने आज पुनः मेरे सहित 49 और सांसदों को संसद से निलंबित कर दिया। इससे साफ है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। साथ ही सुले ने आरोप लगाया है कि असल में भाजपा की कुछ अहम बिलों को बिना चर्चा के मंजूरी देने की योजना है। सरकार में विपक्ष के सवालों का जवाब देने की हिम्मत नहीं है, इसलिए उनकी आवाज दबाई जा रही है।
इन दो या तीन दिनों में, प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023, जो प्रेस की स्वतंत्रता को कम करता है, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त विधेयक 2023, जो चुनाव आयोग की स्वायत्तता पर गंभीर हमला करता है और चुनाव आयोग को केंद्र सरकार की कठपुतली बनाता है, केंद्र सरकार को सुरक्षा के नाम पर दूरसंचार सेवाओं और किसी में भी घुसपैठ करने का धिकार देनेवाला दूरसंचार विधेयक 2023, जो फोन टैप करने की शक्तियां देता है, आपराधिक कानून संशोधन, जो पुलिस को असीमित शक्तियां देकर नागरिकों के अधिकारों को प्रतिबंधित करता है, इन चार महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होनी थी। चूँकि सरकार में विपक्ष के सवालों का जवाब देने की हिम्मत नहीं है, इसलिए उन्हें सदन से ही निलंबित करने का आसान रास्ता चुना। यानी ये एक अघोषित आपातकाल है। सरकार लोगों की आवाज को दबाने का पाप कर रही है और इसीलिए हम सभी इस तानाशाही के खिलाफ मजबूती से एकजुट हैं।
Created On :   19 Dec 2023 10:08 PM IST