सूफ़ीवाद और आपसी सौहार्द: सय्यद अमजद हुसैन ने सूफ़ीवाद और आपसी सौहार्द पर महत्वपूर्ण बयान दिया
डिजिटल डेस्क, पटना। सय्यद अमजद हुसैन, जो बिहार के शेखपुरा ज़िले में जन्मे और दिल्ली पब्लिक स्कूल शेखपुरा तथा एस ए डी एन कॉन्वेंट स्कूल शेखपुरा से अपनी शुरुआती शिक्षा प्राप्त की है, ने हाल ही में पश्चिम बंगाल उर्दू अकैडमी स्थित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ऑडिटोरियम में आयोजित एक समिट के दौरान सूफ़ीवादऔर आपसी सौहार्द पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। अमजद हुसैन, जो मौलाना अबुल कलाम आज़ाद यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी के स्नातक छात्र हैं, सूफ़ीवाद पर गहराई से शोध कर रहे हैं।
अमजद हुसैन ने अपने भाषण में सूफ़ीवाद की गहराई और इसकी सामाजिक प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "सूफ़ीवाद को समझने के लिए दिल का साफ़ होना ज़रूरी है, सूफ़ी का मतलब ही ‘साफ़’ होता है।" उनके अनुसार, सूफ़ीवाद का मूल उद्देश्य प्रेम, सहिष्णुता, और मानवता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देना है।
अमजद ने बिहार में सूफीवाद के शुरू होने को लेकर बताया, "1180 में इमाम ताज फकीह आए थे और पटना के करीब मनेर शरीफ में बस गए थे जहां आज भी सभी धर्मों के लोगो का आना जाना लगा हुआ है। फकीह के पोता याहिया मनेरी और परपोता शरफुद्दीन याहिया मनेरी थे, जिन्होंने आपसी सौहार्द और भाईचारा को कायम करने में बहुत बड़ा काम अंजाम दिया।"
सामाजिक सौहार्द की रक्षा पर जोर देते हुए, अमजद हुसैन ने समाज में मतभेद और संघर्ष फैलाने वाले तत्वों की कड़ी निंदा की। उनका मानना है कि ऐसे तत्व समाज में विघटन और असहिष्णुता को बढ़ावा देते हैं।
अमजद हुसैन ने सभी धर्मों और पंथों के बीच आपसी सम्मान और समझ की आवश्यकता पर भी बल दिया। उनका कहना है कि विविधता के बावजूद, सामाजिक शांति और सामंजस्य बनाए रखने के लिए जरूरी है कि लोग एक-दूसरे के विश्वासों और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों का सम्मान करें।
समिट के दौरान, अमजद हुसैन ने सूफ़ीवाद के ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता पर भी चर्चा की। उनके विचारों ने सूफ़ीवाद की गहराई और समाज में इसके योगदान को रेखांकित किया, जिससे उपस्थित लोगों को सूफ़ीवाद और आपसी सौहार्द की महत्वपूर्ण भूमिका को समझने में मदद मिली।
जारी है पुस्तक पर कार्य
सय्यद अमजद हुसैन ने एक सवाल का जवाब देते हुए बताया की मेरी पुस्तक पर कार्य चालू है, जल्द ही प्रकाशित हो जाएगी जिसको पढ़ कर आप सभी सूफी शिक्षा और सूफीवाद के बारे में समझ जाएंगे। पुस्तक में मैंने खास बिहार के सूफी संतों के चुना है, क्योंकि यह फील्ड बहुत बड़ा है इसलिए शुरू छोटे से करनी चाहिए।
Created On :   17 Aug 2024 2:54 PM IST