पन्ना: यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण के लिये बना है पॉक्सो अधिनियम

यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण के लिये बना है पॉक्सो अधिनियम
  • यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण के लिये बना है पॉक्सो अधिनियम
  • महिला और बाल विकास मंत्रालय ने वर्ष 2012 में पॉक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया

डिजिटल डेस्क, पन्ना। यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण देने के उद्देश्य से पॉक्सो प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट अधिनियम बनाया गया है। इस अधिनियम को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने वर्ष 2012 में पॉक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया है। इस कानून के अंतर्गत नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीडन, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेडछाड के मामलों में कार्रवाई की जाती है। इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित है। यह अधिनियम पूरे भारत में लागू है। पॉक्सो कानून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चों के माता-पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है उनकी उपस्थित में होती है। वर्ष 2012 में पॉक्सो कानून के लागू होने के बाद वर्ष 2020 में पॉक्सो अधिनियम में कई अन्य संशोधन के साथ ऐसे अपराधों में मृत्युदंड की सजा का प्रावधान किया गया है।

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Created On :   18 May 2024 11:32 AM GMT

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