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Panna News: ग्राम बडौर स्थित वाइल्ड लाइफ अस्पताल बना शोपीस, तीन साल बाद भी नहीं मिल रहा वन्य प्राणियों को उपचार

- ग्राम बडौर स्थित वाइल्ड लाइफ अस्पताल बना शोपीस
- तीन साल बाद भी नहीं मिल रहा वन्य प्राणियों को उपचार
Panna News: मध्यप्रदेश को पुन: टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यहां बाघों की बढती संख्या के साथ पर्यटन में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। वन्यप्राणियों के संरक्षण के लिए सरकार ने करोडों रुपये खर्च कर वन्यप्राणी स्वास्थ्य एवं सह उपचार केंद्र का निर्माण कराया था लेकिन तीन साल बाद भी यह अस्पताल शुरू नहीं हो सका। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों सहित कई अन्य वन्यजीव निवास करते हैं जिनकी देखरेख और चिकित्सा के लिए सरकार ने विशेष योजनाएं बनाई हैं। इसी के तहत चार साल पहले तत्कालीन वन मंत्री विजय शाह द्वारा ग्राम बडौर में वन्यप्राणी स्वास्थ्य एवं सह उपचार केन्द्र का शिलान्यास किया गया था। इसका उद्देश्य वन्यजीवों के तत्काल इलाज और पुनर्वास की सुविधा देना था जिससे घायल या बीमार जानवरों को समय रहते सही उपचार मिल सके। इस अस्पताल में वन्यप्राणियों को रखने के लिए विशेष बाडा बनाया गया है और भवन के अंदर पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध हैं लेकिन लाखों रुपये की लागत से तैयार यह अस्पताल सिर्फ एक स्टोर रूम बनकर रह गया है। वन्यप्राणियों के इलाज के लिए आधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं लेकिन इस्तेमाल नहीं हो रहे।
बताया जाता है कि घायल वन्यजीवों को रखने के लिए अलग-अलग बाडे बने हैं लेकिन उनमें कोई जीव नहीं रखा जा रहा। अस्पताल में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की कोई स्थायी तैनाती नहीं की गई है। भवन की देखभाल के लिए केवल एक चौकीदार तैनात है जिसका काम सिर्फ परिसर की निगरानी करना है। अस्पताल धूल खा रहा है और पार्क में वन्यप्राणी घायल घूम रहे हैं। पार्क प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल वाईल्ड लाइफ हॉस्पिटल का संचालन शुरू करें ताकि घायल वन्यजीवों को सही समय पर उपचार मिल सके। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि सरकार को भी इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो सुविधाएं वन्यजीवों के लिए विकसित की गई हैं उनका सही उपयोग हो। अन्यथा यह अस्पताल सिर्फ एक शोपीस बनकर रह जाएगा और जंगल के राजा सहित अन्य वन्यजीव यूं ही असहाय घूमते रहेंगे।
घायल बाघ को भी नहीं मिल सका उपचार
हाल ही में पार्क घूमने आए कुछ पर्यटकों ने एक बाघ के सिर पर गंभीर घाव देखा। उन्होंने इस घायल बाघ की तस्वीरें खींचकर सोशल मीडिया पर साझा कर दीं जिसके बाद मामला चर्चा में आया। बाघ का यह गंभीर घाव देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसे तत्काल चिकित्सा की जरूरत थी लेकिन हॉस्पिटल में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण पार्क प्रबंधन ने महज ट्रैंक्यूलाइजर गन से एंटीबायोटिक डोज देकर उसे उसी हालत में छोड दिया। पार्क प्रबंधन का कहना है कि यह बाघ पी-643 है जो आपसी संघर्ष में घायल हुआ है और उसकी निगरानी की जा रही है लेकिन जब प्रबंधन को पर्यटकों से बाघ के घायल होने की जानकारी मिली तो यह सवाल उठता है कि यदि निगरानी पहले से हो रही थी तो इतनी बडी चोट की जानकारी पहले क्यों नहीं मिली। जंगल में अक्सर बाघों के बीच टेरिटरी संघर्ष होते हैं जिससे वह घायल हो जाते हैं। इसी उद्देश्य से इस अस्पताल की स्थापना की गई थी लेकिन आज तक यह शुरू नहीं हुआ जिससे वन्यजीवों की चिकित्सा व्यवस्था केवल कागजों तक सीमित रह गई है।
इनका कहना है
वाइल्ड लाइफ अस्पताल के लिए जो आवश्यक मशीन इत्यादि जरूरी है इसकी खरीददारी अभी होना शेष है। पोस्टमार्टम वगैरह तो वहां पर करते रहते हैं हमने दो नाका भी यहां पर बनाए हैं वहां पर चौकीदार रख रहे हैं। सारा कुछ अभी प्रक्रिया में है। पूरी कोशिश होगी कि 2025-26 में इसको शुरू कर दिया जाएगा।
अंजना सुचिता तिर्की, फील्ड डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व
Created On :   30 March 2025 1:49 PM IST