Panna News: महिला ने मेहनत कर गरीबी से बाहर निकाला परिवार

महिला ने मेहनत कर गरीबी से बाहर निकाला परिवार
  • महिला ने मेहनत कर गरीबी से बाहर निकाला परिवार
  • प्रशिक्षण और आजीविका का विस्तार

Panna News: गरीबी को हराने की कहानी तब बनती है जब इच्छा शक्ति, प्रयास और सामूहिक समर्थन का संगम होता है। ऐसा ही उदाहरण पेश किया है मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के अहिरगवां गांव की रहने वाली श्रीमती वर्मन की संघर्ष भरी जिंदगी और उनके साहस ने यह दिखा दिया कि कठिनाईयों को हराया जा सकता है। श्रीमती वर्मन जो सामान्य जाति वर्ग से आती हैं अपने संयुक्त परिवार के साथ एक छोटे से कच्चे मकान में रहती थी उनके पति खेती का काम करते थे और श्रीमती स्वयं भी खेतों में मजदूरी करतीं थीं। आर्थिक तंगी के कारण परिवार के सभी सदस्य मजदूरी करने को मजबूर थे। ऐसे कठिन हालातों में वर्मन ने अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालने का सपना देखा।

समूह से जुडने का निर्णय

अहिरगवां ग्राम में राष्ट्रीय ग्रामीा आजीविका मिशन के तहत वैष्णव माता स्व-सहायता समूह का गाठन किया गया। इसकी जानकारी मिलने पर श्रीमती वर्मन ने भी इस समूह से जुडने का निर्णय लिया। समूह की नियमित बैठकों में भाग लेना, बचत जमा करना और नई जानकारियों को सीखना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया। धीरे-धीरे समूह की मदद से उन्होंने अपनी १० हजार ३०० रूपए की बचत जुटा ली।

प्रशिक्षण और आजीविका का विस्तारप्रशिक्षण और आजीविका का विस्तारप्रशिक्षण और आजीविका का विस्तार

मिशन के तहत उनको कई प्रशिक्षण दिए गए जिनसे उनका आत्मविश्वास बढ़ा। इसके बाद उन्होंने समूह के माध्यम से बैंक से 50000 रुपये 100000 रुपये और 100000 रुपये की तीन किश्तों में ऋण लिया। इस राशि को उन्होंने सब्जी उत्पादन और मछली पालन में निवेश किया। साथ ही समूह और एनजीओ की मदद से पॉलीहाउस का निर्माण किया जिससे वह मौसमी सब्जियों का उत्पादन करने लगीं। आज श्रीमती वर्मन अपने पति के साथ बाजारों में अपनी जैविक सब्जियों की दुकान लगाती हैं। वह प्रतयेक बाजार में 1000 से 1500 रुपये की आय अर्जित करती हैं और महीने में 16 बाजारों में भाग लेती हैं। यह आय उनके परिवार को समृद्ध बना रही है।

आर्थिक स्वतंत्रता की ओर कदम

आज उनका परिवार जो कभी केवल मजदूरी पर निर्भर था अब अपने खेतों में काम कर रहा है। वह सब्जी उत्पादन और मछली पालन जैसे व्यवसायों से प्रति माह 20000 रुपये तक की आय कमा रहे हैं। श्रीमती वर्मन ने समूह का ऋण भी चुकता कर दिया है। श्रीमती वर्मन ने समूह से प्राप्त प्रशिक्षण और सहायता का सही उपयोग करके न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारा बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बन गईं। उनकी मेहनत और संकल्प का परिणाम यह है कि उनके बेटे अब लंदन में रहकर अच्छा जीवन यापन कर रहे हैं। श्रीमती वर्मन की यह कहानी हमें सिखाती है कि गरीबी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए सामूहिक प्रयास और आत्मनिर्भरता आवश्यक है। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि इच्छाशक्ति और सही मार्गदर्शन के साथ कठिन से कठिन परिस्थितियों को भी बदला जा सकता है। उनकी सफलता अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है और यह साबित करती है कि स्व-सहायता समूह, गरीबी उन्मूलन और सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन सकते हैं।

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इनका कहना है

श्रीमती वर्मन को समूह की सहायता से जो दिशा मिली है वह उनकी स्वयं की प्रगति के साथ ग्राम पंचायत के लिए भी गौरव की बात है यह एक प्रेरणा है इन्हें देखकर सभी समूह से जुड़े लोग प्रेरणा लेकर उनके जैसा प्रयास करेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब हम एक विकसित स्वालंबी पंचायत के रूप में जिले में पहचान बनाएंगे।

संजू शुक्ल, सरपंच ग्राम पंचायत अहिरगंवा

पहले दीदी बहुत गरीब थीं समूह का पता नहीं था समूह से जुडऩे के बाद दीदी ने कर्ज लेकर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया है समूह एवं ग्राम संगठन से ना जुड़ती तो आज तक हमारे आर्थिक स्थिति नहीं सुधरता वह स्वयं सशक्त होकर और भी अनेकों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है एवं एकता में संगठन है संगठन में मेरी पहचान बनी।

फोटो नं-८

रेखा तुषार, अध्यक्ष जगन्नाथ संकुल स्तरीय संगठन

Created On :   30 Dec 2024 11:57 AM IST

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